मध्य प्रदेश के आदिवासियों में तेजी से फैल रही ये बीमारी ?
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इंदौर. सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर बीमारी है. इस बीमारी में मरीज की उम्र कम होने लगी है. कई केस में समय से पहले ही लोगों की मौत भी हो जाती है. हालांकि समय रहे सही इलाज करवाने से और जरूरी सावधानी बरतने से इस बीमारी को रोका जा सकता है. राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के तहत हाल ही में टेस्टिंग कराई गई थी. एमवाय अस्पताल की कई टीमों ने 400 से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग की थी. जांच में पता चला है कि 65 आदिवासी हॉस्टल में रहने वाले छात्र और ग्रामीणों में सिकल सेल एनीमिया के लक्षण नजर आए है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासी इलाकों में सिकल सेल एनीमिया तेजी से फैल रहा है, जिसने चिंता बढ़ा दी है. MY अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने बताया कि यह जांच सिकल सेल एनीमिया की पहचान और इलाज के लिए एक बड़ी पहल का हिस्सा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां आदिवासी आबादी ज्यादा है. हमने एमवाय अस्पताल में सिकल सेल एनीमिया के कई रोगियों को रजिस्टर किया है, जिनमें से अधिकांश अलीराजपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, झाबुआ और डिंडोरी जिलों से हैं.
क्या है सिकल सेल एनीमिया
सिकल सेल एनीमिया एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर है. इससे हमारे शरीर के रेड ब्ल सेल पर काफी असर पड़ता है. इस बीमारी से पीड़ित लोगों को गंभीर इनफेक्शन, पुराने दर्द और ऑर्गन डैमेज का खतरा सबसे ज्यादा होता है.
डॉ. अशोक यादव ने कहा कि MY अस्पताल में टेस्टिंग के लिए लैब तैयार किया गया है. इसके साथ ही सिकल सेल एनीमिया के मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए अलग से फैसिलिटी भी बनाई जा रही है. सिक्लिंग के मरीजों को पहचान होना काफी जरूरी है. जितनी जल्दी केस डिटेक्ट होंगे, उतनी ही जल्दी मरीजों का इलाज शुरू हो सकेगा. इससे कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है.