टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्व रंग का समापन, वनमाली कथा सम्मान से सम्मानित हुए साहित्यकार
10 Nov 2019
भोपाल. टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्व रंग के सातवें व अंतिम दिन रविवार को साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 8 साहित्यकारों को वनमाली कथा सम्मान से सम्मानित किया गया। दो साहित्यकारों को पूर्व में सम्मानित किया जा चुका है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ उपान्यासकार भगवानदास मोरवाल ने कहा आज विश्व रंग लेखक का सम्मान नहीं कर रहा है बल्कि उनकी प्रतिभा का सम्मान कर रहा है। ये पुरस्कार एक लेखक के लिए प्रेरणा का काम करते हैं। वहीं वरिष्ठ कहानीकार ममता कालिया ने कहा इस कठिन समय में, साहित्य आशा है, यह परिदृश्य को बदलने और समझने की शक्ति देता है। मैं सभी युवा लेखकों को इस तरह लिखते रहने की शुभकामनाएं देती हूं। दिविक रमेश ने कहा यह सभी पुरस्कार विजेता हमेशा कुछ अनूठा सीखने और लिखने के लिए समर्पित हैं। साहित्य हमें भीतर देखने की शक्ति देता है, और कहीं न कहीं हम ऐसा करने से डरते हैं। वनमाली कथा सम्मान समारोह के दौरान मंच पर पुरस्कृत विभूतियों के साथ मध्य प्रदेश शासन के स्कूली शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, विश्वरंग के सह निदेशक लीलाधर मंडलोई के साथ विश्वरंग के सह निदेशक और आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी मौजूद रहे। सम्मान समारोह का संचालन टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र के निदेशक व वरिष्ठ कला समीक्षक विनय उपाध्याय ने किया।
साहित्य की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए दिया जाता है वनमाली कथा सम्मान
भोपाल. वनमाली कथा सम्मान जनतांत्रिक एवं मानवीय मूल्यों की तलाश में लगे कथा साहित्य की पुनर्प्रतिष्ठा प्राप्त करने और उसे सम्मान प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित हुआ द्विवार्षिक पुरस्कार है। वनमाली कथा सम्मान सुप्रतिष्ठित कथाकार, शिक्षाविद् तथा विचारक स्व. जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली’ जी के रचनात्मक योगदान और स्मृति को समर्पित वनमाली सृजन पीठ द्वारा स्थापित किया गया है । वनमाली जी साहित्य और प्रयास के माध्यम से इन्हीं मूल्यों की गरिमा बचाये रखने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे।
वनमाली कथा सम्मान 2019 से सम्मानित हुए ये कथाकार
कहानियों में प्रेम को परत दर परत उघाड़कर उसे कलात्मक और सहज अभिव्यक्ति प्रदान करने में माहिर कथाकार प्रियवंद को राष्ट्रीय वनमाली कथा सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इसके साथ ही समकालीन कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में अपने लेखन से एक अलग पहचान रखने वाले कथाकार रणेन्द्र को वनमाली कथा सम्मान 2019 प्रदान किया गया, जिसके साथ ही शॉल, प्रशस्ति पत्र के साथ 51000 रुपए प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। इसी क्रम में इस वर्ष का वनमाली कथा सम्मान कथाकार भगवानदास मोरवाल को दिया गया जिसमें शॉल, प्रशस्ति पत्र और 51000 रुपए प्रोत्साहन राशि शामिल हैं। नए विषयों पर अपने अनूठे कथ्य से लोकप्रिय कथाकार मनोज पांडेय को भी वनमाली युवा कथा सम्मान के अंतर्गत शॉल, प्रशस्ति पत्र और 31000 रुपए की प्रोत्साहन राशि से नवाजा गया। अपनी कहानियों में आंतरिक लय प्रश्नाकुलता, सामाजिक मूल्यों की धरोहर के साथ समय के बदलाव को रेखांकित करने वाले तरुण भटनागर को वनमाली कथा युवा सम्मान प्रदान किया जिसमें 31000 रुपए की प्रोत्साहन राशि के साथ प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट की गई। कार्यक्रम में किन्हीं कारणों से उपस्थित नया होने वाले आलोचक विनोद शाही को वनमाली कथा आलोचना सम्मान दिया गया। साथ ही में वनमाली युवा कथा सम्मान कथा साहित्य और फिल्म लेखन में महारत हासिल कर चुके गौरव सोलंकी को दिया गया। पुरस्कार वितरण की श्रृंखला में आलोचक राहुल सिंह को वनमाली युवा कथा आलोचक सम्मान से सम्मानित किया गया जिसमें 31000 रुपये के साथ शॉल और प्रशस्ति पत्र शामिल थे। अपनी मोहक भाषा शैली के लिए चर्चित उपासना को वनमाली विशिष्ट युवा पुरस्कार के अंतर्गत 31000 प्रोत्साहन राशी, शॉल और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। वनमाली साहित्यिक पत्रिका सम्मान ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ पत्रिका को दिया गया।
विज्ञान कथा पुरस्कार से सम्मानित हुए विज्ञान लेखन
आज का समय विज्ञान लेखन का है : संतोष चौबे
भोपाल. विश्व रंग में सम्मान समारोह के अंतर्गत डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय में आयोजित विज्ञान कथा प्रतियोगिता के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। जिसमें बाल कीर्ति को 31000 रुपए प्रोत्साहन राशि के साथ प्रमाण पत्र व प्रशस्ति पत्र, द्वितीय स्थान पर रहे अरविंद दुबे को 21000 प्रोत्साहन राशि प्रमाण और प्रशस्ति पत्र वहीं तीसरे स्थान पर रही वंदना शुक्ला को 11,000 की प्रोत्साहन राशि प्रमाण व प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत किया गया। विज्ञान कथा पुरस्कार से विजेताओं को पुरस्कृत करने के बाद टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने कहा कि आज का समय विज्ञान लेखन का है।
प्रदेश में प्रारंभ होंगे कला-विज्ञान के समावेशी कोर्स
भोपाल. टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्व रंग के सातवें और अंतिम दिन वनमाली कथा सम्मान कार्यक्र में शामिल हुए प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री ने डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि कला और साहित्य के इस कुम्भ से प्रेरित होकर हम एक कोर्स शुरू करने के इच्छुक हैं जो विज्ञान और कला का मिश्रण होगा क्योंकि ये दोनों एक पूर्ण जीवन का मार्ग खोलते हैं। यदि हम ऐसा करने में सक्षम होते हैं तो मध्यप्रदेश ऐसा करने वाला पहला राज्य होगा।
आज आग लगी तो सब कुआं खोदने बैठे हैं -आबिद सुरती
भोपाल। टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्व रंग में मुंबई से शिरकत कर रहे प्रख्यात चित्रकार, लेखक, व्यंग्यकार और पर्यावरणविद् आबिद सुरती ने कहा कि आज मैं सबसे ऊपर पानी को प्राथमिकता देता हूं। आज पानी की एक नहीं, सौ दिक्कतें हैं और उसके बचाव के लिए आप जो कर सकते हैं, करके दिखाइए। तेरह वर्षों पहले मुंबई के मीरा गांव से उन्होंने जल संचयन को लेकर एक मुहिम चलाई थी। जिसमें सबसे पहले शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन जैसे लोग जुड़कर पानी बचाव पर जोर दे रहे हैं। आगे बताते हुए आबिद ने कहा कि अब जो आग लगी है तो सब कुआं खोदने बैठे हैं लेकिन मैंने बूंदों से पानी बचाना शुरू किया।
कला और संस्कृति खुद को अभिव्यक्त करने का सर्वश्रेष्ठ स्रोत है : भारत रत्न प्रणब मुखर्जी
-टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्वरंग के लिए : भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भेजा डिजिटल संदेश
भोपाल. टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्वरंग के सातवें दिन होने वाले वनमाली कथा सम्मान समारोह में भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी खराब स्वास्थ्य के कारण विश्व रंग में शामिल नहीं हो सके लेकिन उन्होंने एक रिकॉर्ड किए वीडियो के माध्यम से अपना संदेश जरूर भेजा। उन्होंने कहा विश्व रंग का आयोजन करके रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने कला, संस्कृति और साहित्य के लिए एक विशाल मंच दिया है। भारत में साहित्य ने निराला से लेकर टैगोर तक भारत की विविधता का प्रदर्शन किया। प्रेमचंद्र और मीरा जैसे हमारे पास उत्कृष्ट लेखक हैं। संस्कृति और साहित्य भारत का जीवन है। जैसा कि हम गांधी के 150 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। बापू कला और साहित्य के बारे में क्या सोचते हैं यह मैं आपको बताना चाहूँगा। उन्होंने कहा कि कला और संस्कृति अपने आप को अभिव्यक्त करने का सर्वश्रेष्ठ स्रोत हैं। मुखर्जी ने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में साहित्य एक उद्देश्य के बिना नहीं लिख जा सकता। लेखकों को जीवन का पता लगाने और उन्हें व्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। साहित्य को सच बोलने दो, उसे हमें उकसाने दो, उसे हमें प्रेरित करने दो, हम और साहित्य नई दुनिया और नए भारत का जश्न मनाते हैं|
हारमनी ग्रुप द्वारा हिंदी कविताओं का वृंदगान
टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्वरंग के सातवें दिन की शुरुआत में हारमनी ग्रुप द्वारा हिंदी कविताओं का वृंदगान किया गया। इसकी शुरुआत फारसी में लिखे वंदेमातरम् (सलाम) की प्रस्तुति से हुई। जिसे उमेश तरकसवार ने प्रस्तुत किया। साथ ही केदारनाथ सिंह द्वारा लिखित ‘जैसे चीटियां लौटती हैं बिलों में, ओ मेरी भाषा मैं लौटता हूँ तुममें, ना ना छेड़ ना, कोई नहीं है जिम्मेदार जिम्मेदारी है अपनी, झीनी झीनी झीनी रे चदरिया… पर अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी। बेहतरीन प्रस्तुति में संगीत निर्देशक उमेश तरकसवार के साथ कलाकार निखिल रमेश बाकरे, अमन सोनी, शैलेंद्र नारायण सोनी, रितिक गुप्ता, रजत शर्मा, अनुषा शर्मा, खुशबू पांडेय, छाया मोर्ले, वीनस तरकसवार ने संगत कर प्रस्तुति दी।
कविताओं में करते हैं म्यूजिकल ट्रीटमेंट- उमेश तरकसवार
विश्वरंग में हारमनी की प्रस्तुतियों के बाद उमेश तरकसवार ने बताया कि हम 2006 से वतन का राग रेडियो प्रोग्राम करते थे, जिसके बाद हमने इस ग्रुप का गठन किया। इसका उद्देश्य कविताओं का म्यूजिकल ट्रीटमेंट कर एक नए रोचक अंदाज़ में प्रस्तुत करना है।
रेनी वृन्द ग्रुप की सुरमय प्रस्तुति ने बांधा समां
भोपाल। टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्वरंग के सातवें दिन मिंटो हॉल के भव्य सभागार में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में रीना सिन्हा और उनके समूह रेनी वृन्द ने रबींद्र संगीत की मनोरम प्रस्तुति दी और कलाप्रेमी दर्शकों का संगीतमय मनोरंजन किया। तबले, इलेक्ट्रिक ड्रम, गिटार, कीबोर्ड, सिंथेसाइजर के साथ कलाकरों ने सुरों की माला में पिरोए गीतों की मनोरम प्रस्तुति दी। रबींद्र संगीत की इस श्रृंखला में पगली हवा बदराया दिन, एकला चलो रे जैसे सुप्रसिद्ध गीतों की प्रस्तुति रीना सिन्हा और उनकी टीम ने दी।
विश्वरंग के अंतिम दिन कई संकलनों का विमोचन
भोपाल। टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव विश्व रंग के अंतिम दिन भी किताबों, संकलनों, पत्रिकाओं के विमोचन का सिलसिला जारी रहा। सबसे पहले चित्रकार प्रभु जोशी द्वारा चित्रित वनमालीजी के पोट्रेट का लोकार्पण विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, मुकेश वर्मा, प्रियंवद के साथ-साथ मंचासीन विभूतियों ने किया। इसके साथ ही कला एवं उपन्यास में सृजनात्मक उपलब्धि के लिए दिए जाने वाले वनमाली कथा सम्मान के सम्मान स्मारिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया। भारत के चयनित हिंदी कथा लेखकों के अंग्रेजी अनुवाद गोल्डन ट्रेजरी का भी विमोचन हुआ जिसका संयोजन पुनर्वसु जोशी ने किया है। रबींद्रनाथ टैगोर के चित्रों पर आधारित डॉ रबींद्र कैटलॉग का विमोचन भी मिंटो हॉल सभागार में किया गया। टैगोर पुस्तक यात्रा पर बनी पुस्तक यात्रा स्मारिका का भी विमोचन किया गया, इसके साथ ही रबींद्रनाथ टैगोर पर केंद्रित नया ज्ञानोदय पत्रिका के विशेषांक का अभी विमोचन किया गया।