लता मुंशी के भरत नाट्यम के साथ शुरू हुआ विश्वरंग महोत्सव 2020 का नौवां दिन

मध्य प्रदेश, मुख्य समाचार

भोपाल, नवंबर 28,

  • कोरोना से आए बदलावों पर कोविड के बाद की दुनिया कार्यक्रम पर चर्चा
  • अंग्रेजी लेखक अश्विन सांघी की लेखन यात्रा से मिली साहित्यकार बनने की प्रेरणा
  • अशोक राजगोपालन की रोचक कहानियों से बच्चों का मनोरंजन
  •  थिएटर वर्कशॉप में नूतन राज ने बताया शिक्षा में नवाचार का महत्व

हिंदी और भारत की अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में रचित साहित्य और कला को नई पहचान दिलाने के लिए आयोजित किया जाने वाले ‘टैगोर अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव’ (विश्वरंग) के नौवें दिन की शुरुआत लता मुंशी के भरत नाट्यम के साथ हुई। दिन के पहले सत्र में डॉ. लता सिंह ने मुंशी ने अपने शानदार नृत्य से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी एकल प्रस्तुति के बाद मंगलाचरण कार्यक्रम में उन्होंने अपनी दो सहयोगी नृ्त्यांगनाओं के साथ भी बेहतरीन भरत नाट्यम नृत्य की प्रस्तुति दी। मंगलाचरण के बाद दिन के दूसरे सत्र में कोविड के बाद की दुनिया कार्यक्रम रखा गया, जिसमें आज हमारे स्वास्थ्य और भारतीय परंपरा के ऊपर चर्चा हुई।

कोविड के बाद की दुनिया पर चर्चा

दिन के दूसरे सत्र का संचालन विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे ने किया। भारत में कोविड को कैसे समझा जा रहा है और शिक्षा और स्वास्थ्य में क्या नए प्रयोग हो रहे हैं इस विषय पर चर्चा हुई। सीवी रमन विश्विद्यालय के कुलपति अमिताभ सक्सेना, एशोसिएशन ऑफ इंडियन युनिर्सिटीज की सचिव पंकज मित्तल, ऊर्वशी प्रसाद पब्लिक पॉलिसी की जानकार और मुकुल कानिडकर शिक्षा संगठन के अखिल भारतीय संगठन मंत्री इस सत्र में मेहमान के तौर पर शामिल हुए। लोकल के लिए वोकल पर पर चर्चा करते हुए अमिताभ सक्सेना ने कहा कि आज हमें हमारी जड़ों से जुड़ने की आवश्यकता है। विश्वरंग हमें आज फिर से अपनी मूल संस्कृति से जुड़ने का अवसर दे रहा है। रोज हमारे सामने कोई न कोई नवाचार सामने आ रहा है। ऐसे समय में हमें विद्यार्थियों के अंदर यह विश्वास जगाने की जरूरत है कि आप नए दौर में पूरी क्षमता के साथ खुद को स्थापित कर सकते हैं।

 

आश्विन सांघी के साथ विशेष सत्र

दिन के तीसरे सत्र में डॉ. नीलमकमल कपूर ने अश्विन सांघी के साथ बातचीत की। विश्वरंग महोत्सव के सहनिदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी भी इस शामिल हुए। जाने माने अंग्रेजी लेखक अश्विन सांघी ने लेखन पर बात करते हुए बताया कि एक लेखक बनने के लिए आपको सबसे पहले लेखन शुरू करना पड़ता है और धीरे-धीरे आप चीजें सीखते चले जाते हैं। उन्होंने अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए कहा कि मेरे माता और पिता बनिया परिवार से थे और उनसे गद्दी पर बैठने की ही उम्मीद की जाती थी, लेकिन उनके नाना के बड़े भाई ने उन्हें लेखन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने 300 किताबें भी अश्विन सांघी को भेंट की। अमेरिका से एमबीए करने के बाद 15 साल तक उन्होंने पैतृक व्यापार संभाला, पर इसके बाद उन्होंने लिखना शुरू किया। बाद में भारतीय पौराणिक कथाओं पर उनके लेखन को खासी पहचान मिली।

 

विश्व कविता समारोह

दूसरे विश्व कविता समारोह में दुनिया भर के जाने माने चुनिंदा कवियों की कविताओं का पाठ हुआ। सत्र का संचालन जैनेन्द्र कुमार ने किया, जिसमें लेबो माशिल, तेनजिंग, सुमन पोखरेल, नजीब बरवर, मारिया लानोट, ओबेद आकाश, खुजेस्ता इल्हाम, माजिद महमूद और इगोर सिड की कविताएं पढ़ी गई। इस सत्र में दुनिया की संस्कृति, इतिहास और भूगोल के दर्शन हुए। यह कार्यक्रम विश्वरंग के पहले संस्करण की याद के तौर पर शामिल किया गया था, जिसमें दुनियाभर के कवि शामिल हुए थे। इसके बाद लेखक से मिलिए कार्यक्रम में संतोष चौबे और अरुणेश शुक्ल के बीच बातचीत हुई। लीलाधर मंडलोई, राकी गर्ग, बलराम गुमास्ता, मुकेश वर्मा और धनंजय वर्मा भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

सातवें सत्र में निराला और अज्ञेय जैसे कई महान कवियो की कविताओं का पाठ हुआ। इस सत्र का संचालन विश्वंरग के निदेशक संतोष चौबे ने किया। कार्यक्रम का नाम था कविता यात्रा। इस सत्र में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, नागार्जुन, अज्ञेय, गजानन माधव मुक्तिबोध, रघुवीर सहाय, केदारनाथ अग्रवाल, केदारनाथ सिंह, कुंवर नारायण, अशोक बाजपेयी और श्रीकांत वर्मा की कविताओं का पाठ हुआ। ये कविता यात्रा पिछले 70 सालों में देश की यात्रा भी थी। इस कार्यक्रम में सभी महान कवियों की कविताओं की नाट्य प्रस्तुति ने सभी का दिल जीत लिया।

 

प्रवासी भारतीयों के साहित्य के मूल्यांकन की चुनौतियों पर भी इस दौरान चर्चा हुई, जिसमें नासिरा शर्मा, अनिल शर्मा, उषा राजे सक्सेना, तेजेन्द्र शर्मा, दिव्या माथुर, संध्या सिंह और जय वर्मा शामिल हुए। विश्वरंग महोत्सव में आगे होली के रंग संतोष चौबे के संग कार्यक्रम की प्रस्तुति हुई। रंगो के त्योहार पर बात करते हुए विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे ने देशभर में होली की आयोजन पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि आगरा की होली में मिछास ज्यादा है, जबकि मैनपुरी की होली में गति और ऊर्जा ज्यादा है। देश के कई क्षेत्रों से होली के लोकगीतों पर नृत्य हुआ। सबसे पहले उन्होंने यमुना की होली की प्रस्तुति हुई, जिसे पीयूष गायक ने गाया था। बाद में इसी गाने पर नृ्त्य की प्रस्तुति भी हुई। इसके बाद वृंदावन की होली पर नृ्त्य की प्रस्तुति हुई। होली के ऊपर आधारित सभी नृत्यों की प्रस्तुति क्षमा मालवीय ने की, जिनमें कत्थक की झलक भी दिखाई दी।

 

होली के गीतों की प्रस्तुति के बाद विश्वरंग विदेश फिल्मों की प्रस्तुति की गई, जिसमें त्रिदिनाद, श्रीलंका, स्वीडन, यूक्रेन, बल्गेरिया, कजाकिस्तान, यू.ए.ई, रूस और अमेरिका की फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। दिन के आखिरी सत्र में अंकुर तिवारी विश्वरंग का हिस्सा बने और अपने शानदार संगीत से सभी दर्शकों का दिल जीत लिया। आत्मीय संगीत की एक शाम नाम के इस कार्यक्रम में उन्होंने अपने बेहतरीन संगीत से समां बांध दिया।

 

 

बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव की झलकियां

 

गोंट आर्ट वर्कशॉप

देश के प्रसिद्ध पेरेंटिंग यू ट्यूब चैनल गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी द्वारा विश्व रंग 2020 के अंतर्गत आयोजित पहले बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का सातवां दिन अकांक्षा गोयनका की आर्ट वर्कशॉप के साथ शुरू हुआ। उन्होंने इस सत्र में गोंड आर्ट पर चर्चा की और बच्चों को गोंड आर्ट बनाना भी सिखाया। गोंड आर्ट जनजातीय कला का एक रूप है, जिसमें प्राकृतिक चीजों की चित्रकारी की जाती है। कला का यह रूप मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के गावों में ज्यादा प्रचलित है। गोंड का शाब्दिक अर्थ होता है हरियाली। कला के इस रूप में इसी से संबंधित चीजों की चित्रकारी होती है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने मछली और मोर जैसे कई जीवों की चित्रकारी की।

 

अशोक राजगोपालन के साथ बातचीत

दिन के दूसरे सत्र में पल्लवीराव चतुर्वेदी ने अशोक राजगोपालन के साथ बातचीत की। इस सत्र में जानी मानी पुस्तक गजपति कुलपति के लेखक अशोक राजगोपालन ने अपनी कहानियों से बच्चों का मनोरंजन किया और उन्हें जीवन में काम आने वाली सीख भी दी। अलग-अलग शहरों से कई बच्चे भी इस सत्र में अशोक राजगोपालन के साथ जुड़े और उनकी कहानियों से लाभान्वित हुए। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने गजपति कुलपति की कहानी भी सुनाई। इसके बाद उन्होंने पल्लवीराव चतुर्वेदी के साथ बातचीत करते हुए अपनी पुस्तक गजपति कुलपति के बारे में बात की और अपनी लेखन यात्रा के बारे में भी बताया।

 

हेलेन ओ ग्रेडी द्वारा थिएटर वर्कशॉप

दिन का आखिरी सत्र थिएटर वर्कशॉप के नाम रहा, जिसमें शिक्षा में नाटक के महत्व पर चर्चा हुई। नूतन राज ने इस सत्र में शिक्षा में नवाचार के महत्व को समझाया और माइम के बारे में भी बताया। इसके जरिए हम अपनी शारीरिक भाषा को भी बेहतर कर सकते हैं। यह हमें खुद पर बेहतर नियंत्रण करना सिखाता है। इसमें शरीर को पांच भागों में बांटा जाता है। सिर, गला, कंधे, छाती और पीठ। कार्यक्रम में आगे उन्होंने हर भाग के उपयोग और उसके प्रभाव को भी समझाया। यह सत्र बच्चों से ज्यादा उनके माता-पिता के लिए जरूरी था, जिसमें उन्हें कई रोचक बातें जानने को मिली। वर्कशॉप के अंत में 10 माइम कलाकारों ने बेहतरीन माइम शो की प्रस्तुति दी। माइम कलाकारों की इस शानदार प्रस्तुति के साथ ही बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का सातवां दिन समाप्त हुआ।

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