नैनिशा डेढिया निर्देशित “पिराना” बनी विश्वरंग अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में शॉर्ट फिल्म कॉम्पीटिशन की विजेता
भोपाल. 27 नवंबर 2020,
- विश्वरंग अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का हुआ समापन
- गुलजार और सोनम वांगचुके पर आधारित फिल्मों से छात्रों का ज्ञानवर्धन
- द इममोर्टल्स फिल्म ने ताजा की दादा साहेब फाल्के और के.एल. सिंघल से जुड़ी यादें
- रामचंद पुलावर और उनके परिवार की मनमोहक शैडो पपेट शो की प्रस्तुति
- गीता रामानुजन की कहानियां सुन रोमांचित हुए बच्चे
विश्वरंग फिल्म फेस्टिवल 2020 का चौथा और आखिरी दिन श्रुति अधिकारी के संतूर वादन के साथ शुरू हुआ। दिन के पहले सत्र का संचालन सुदीप सोहनी ने किया। सबसे पहले मंगलाचरण कार्यक्रम में श्रुति अधिकारी ने शानदार संतूर वादन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद फिल्म महोत्सव में फिल्मों के प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे पहले साहित्यिक फिल्म गुलजार की प्रस्तुति हुई। इस फिल्म का निर्माण मेघना गुलजार ने साहित्य अकादमी के साथ मिलकर किया है। फिल्म में प्रख्यात गीतकार गुलजार के जीवन के बारे में बताया गया है। फिल्म दिखाती है कि कैसे गुलजार ने अकेले बॉलीवुड, भारतीय कविता और गीत लेखन की पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया।
गुलजार फिल्म की प्रस्तुति के बाद फिल्म महोत्सव में साइंस फिल्म “सेमकॉल, द स्कूल ऑफ नॉरफेल” की प्रस्तुति हुई। इस फिल्म में भारत के लद्दाख में शैक्षिक क्रांति लाने वाले सोनम वांगचुके के जीवन और उनकी यात्रा के बारे में बताया गया है। फिल्म का निर्देशन डॉ, शाहिद रसूल और शफकत हबीब ने किया है। इसके बाद विश्वरंग फिल्म फेस्टिवल 2020 का समापन समारोह रखा गया, जिसमें पुरस्कार जीतने वाली फिल्मों के निर्देशकों का सम्मान हुआ और उनसे बातचीत की गई। विश्वरंग के निदेशक श्री संतोष चौबे और सहनिदेशक श्री सिद्धार्थ चतुर्वेदी के अलावा नितिन वत्स ने विजेता फिल्मों के निर्देशकों का सम्मान किया और फिल्म के बारे में उनसे बातचीत की। नैनिशा डेढिया द्वारा निर्देशित भारतीय फिल्म “पिराना” ने सम्मान समारोह में पहला पुरस्कार जीता, जबकि पंडेली चेचो की “द व्हाइट शीट्स” को दूसरा और सेराल मुर्मू की “सोंधायनी” फिल्म को तीसरा पुरस्कार मिला। जाने माने सिनेमैटोग्राफर, डायरेक्टर और पांच बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले फिल्ममेकर राजेन्द्र जांगले ज्यूरी के चेयरमैन थे। उनके अलावा फिल्म फेस्टिवल के क्यूरेटर, फिल्म प्रोग्रामर और इंडी सिनेमा के प्रमोटर मौली सिंह, धर्मा प्रोडक्शन की क्रिएटिव एग्जक्यूटिव श्रेया भट्टाचार्य, वरिष्ठ पत्रकार और टैगोर फिल्म फेस्टिवल के डायरेक्टर विनय उपाध्याय, फिल्ममेकर सुदीप सोहनी, नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले डायरेक्टर दिनेश यादव और फिल्ममेकर अशोक कुमार मीणा भी जूरी का हिस्सा थे।
समापन समारोह के बाद फिल्म महोत्सव में शॉर्ट फिल्मों की प्रस्तुति हुई। पहली शॉर्ट फिल्म “प्रश्न” एक प्रवासी मजदूप परिवार की कहानी है, जिसका निर्देशन संतोष राम ने किया है। फिल्म में गणेश नाम के एक लड़के और उसकी मां के सामने शिक्षा और ज्ञान के अभाव की समस्या को दिखाया गया है। अलगी शॉर्ट फिल्म “द व्हाइस शीट्स” पेंटर आर्किटेक्ट और लेखक मास्क वेलो के उपन्यास पर आधारित है। यह फिल्म वेलो के समय में सामाजिक और राजनीतिक बदलावों के बीच उनके जीवन की परेशानियों को दर्शाती है। फिल्म का निर्देशन पंडेली चेचो ने किया है। तीसरी और आखिरी शॉर्ट फिल्म “बाय द विंडो” का निर्देशन मधुरा डालिंबकर ने किया है। यह फिल्म समाज में महिलाओं के सुरक्षित और सोहार्दपूर्ण माहौल बनाने पर जौर देती है। साथ ही उनकी व्यक्तिगत समस्याओं को भी उजागर करती है।
फिल्म फेस्टिवल में आगे मास्टर क्लास कार्यक्रम में फिल्ममेकर और संग्रहकर्ता शिवेन्द्र सिंह डूंगरपुर शामिल हुए। फिल्म निर्माता, लेखक और डायरोक्टर सुदीप सोहनी ने “सिनेमा की विरासत के संरक्षण की आवश्यकता” विषय पर उनके साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने समझाया कि सिनेमाई विरासत को बचाए रखना क्यों जरूरी है और डिजिटल माध्यम की बजाय पारंपारिक सिनेमा को महत्व दिया जाना कियों जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने फिल्मों के संग्रह के महत्व को भी बताया। इस सत्र का संचालन शर्बानी बैनर्जी ने किया।
विश्वरंग फिल्म महोत्सव के आखिरी सत्र में विशेष रूप से आमंत्रित फिल्म “द इम्मोर्टल्स” का प्रदर्शन हुआ। यह फिल्म कई गुमनाम कहानियों को उजागर करती है और उन चीजों पर बात करती है जो कभी भारतीय सिनेमा के कलाकारों के जीवन का अभिन्न भाग हुआ करती थी। फिल्म में दादा साहेब फाल्के से लेकर के.एल. सिंघल और बाबूराव पेंटर की कहानियां दिखाती है, जिससे हमें यह एहसास होता है कि इतने सालों में भारतीय सिनेमा क्या कुछ हासिल करके खो चुका है। फिल्म उन सभी चीजों और घटनाओं की यादें फिर से ताजा कर देती है।
गीता रामानुजन ने सुनाई जापानी अंदाज में कहानी
सीईओ प्रीति व्यास के साथ सत्र रहे खास
देश के प्रसिद्ध पेरेंटिंग यू ट्यूब चैनल गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी द्वारा विश्व रंग 2020 के अंतर्गत आयोजित पहले बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का पांचवा दिन जापानी लोककथाओं के साथ शुरू हुआ। चौथे दिन की तरह पांचवे दिन भी सत्र की पहली मेहमान गीता रामानुजन ने मजेदार कहानियों से बच्चों का मनोरंजन किया। दिन के पहले सत्र में पल्लवीराव चतुर्वेदी ने गीता के साथ बातचीत की। स्टोरीटेलिंग की अगुआ गीता रामानुजन ने जापान का 2002 का एक किस्सा सुनाया। जहां वो बच्चों से जुड़ी कहानियों का संग्रह लेने के लिए गई थी। इसके बाद दिन के दूसरे सत्र में पल्लवीराव चतुर्वेदी ने अमर चित्रकथा पत्रिका की सीईओ प्रीति व्यास से बातचीत की, जिसमें मौजूदा समय में भारतीय पौराणिक कथाओं की प्रासंगिकता पर चर्चा हुई।
शैडो पपेट शो की प्रस्तुति
बाल साहित्य, कला और संगीत महोत्सव का पांचवा दिन शेडो पपेट शो के साथ खत्म हुआ। दिन के आखिरी सत्र का संचालन पल्लवीराव चतुर्वेदी ने किया। रामचंद पुलावर ने इस सत्र में अपने पपेट थिएटर शो से बच्चों का मनोरंजन किया। रामचंद पुलावर के परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इस काम में उनका साथ दिया। शैडो पपेट शिएटर शो कहानी कहने की एक कला है, जिसमें पपेट शो के जरिए कहानी को सुनाया जाता है। दिन के आखिरी सत्र में रामचंद पुलवार और उनके परिवारजनों ने रामायण की कहानी सुनाई। इस कहानी में भगवान राम के धनुष तोड़ने से लेकर सीता वरण और उनके वनवास की कहानी भी दिखाई गई।