नागरिकता संशोधन विधेयक का असम में क्यों हो रहा विरोध? केवल 2 मिनट में पढ़ें

मुख्य समाचार, राष्ट्रीय
Updated: Dec 12, 2019,

संसद के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) बिल पास हो गया है लेकिन पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों खासतौर पर असम में इसका पुरजोर विरोध हो रहा है. असम के कई जिलों में विरोध-प्रदर्शनों के कारण कर्फ्यू लगा दिया गया है. कई ट्रेनों को या तो रद्द कर दिया गया है, या फिर उनके रास्ते बदल दिए गए हैं. ऐसे में अब सवाल उठता है कि असम में सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन क्यों हो रहा है? इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि उन्हें लगता है कि नागरिकता संशोधन बिल उनके अस्तित्व के लिए खतरा है. हाल ही में NRC यानी National Register For Citizen में राज्‍य के 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं था. इसमें करीब 11 लाख हिंदू भी बताए जा रहे हैं. असम में प्रदर्शन कर रहे लोगों की दलील है कि नागरिकता संशोधन बिल पास होने से ये 11 लाख हिंदू भी देश के नागरिक होंगे और असम में ही रहेंगे. इससे उनके लिए रोजगार के अवसर कम होंगे. सार्वजनिक संसाधनों पर भी उनके अधिकारों में कटौती होगी.

1947 में देश का बंटवारा धार्मिक आधार पर हुआ था, लेकिन सच्चाई ये भी है कि मुसलमानों की एक बड़ी आबादी भारत में ही रह गई जबकि पाकिस्तान से भी बड़ी संख्या में हिंदू भारत लौट आए थे. इस दौरान सीमा के दोनों तरफ दंगे होते रहे. इन्हीं दंगों को रोकने के लिए भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के बीच वर्ष 1950 में एक समझौता हुआ. इसे नेहरू-लियाकत समझौता कहते हैं.

नेहरू-लियाकत समझौता
1. प्रवासियों को ट्रांजिट के दौरान पूरी सुरक्षा दी जाएगी और वो अपनी बची हुई संपत्तियों को बेचने के लिए सुरक्षित वापस आ-जा सकेंगे.
2. दूसरे बिंदु के मुताबिक जिन महिलाओं का अपहरण किया गया…उन्हें वापस उनके परिवार के पास भेजा जाएगा और अवैध तरीके से कब्जाई गई संपत्ति उन्हें लौटाई जाएगी.
3. जबरदस्ती धर्म परिवर्तन अवैध होगा. अल्पसंख्यकों को बराबरी और सुरक्षा के अधिकार दिए जाएंगे.
4. दोनों देश युद्ध को भड़काने वाले और किसी देश की अखंडता पर सवाल खड़ा करने वाले प्रचार को बढ़ावा नहीं देंगे.

लेकिन इस समझौते से कुछ हासिल नहीं हुआ. पाकिस्तान और बांग्लादेश से गैर मुस्लिम शरणार्थियों का भारत आना जारी रहा. विभाजन हमेशा के लिए एक जख्म बनकर रह गया. इस दौरान एक गणराज्य यानी Republic के तौर पर भारत अल्पसंख्यकों की रक्षा करता रहा और एक इस्लामिक देश के रूप में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात बदतर होते गए.

वर्ष 1947 में आजादी के बाद पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यक हिंदुओं को आगे बढ़ने का कोई मौका नहीं दिया. लेकिन भारत में मुस्लिमों को राजनीति, प्रशासन, खेल और मनोरंजन के क्षेत्र में बड़ी सफलता मिली. क्योंकि यहां उनके साथ भेदभाव नहीं हो रहा था. पिछले 72 वर्षों में हमारे देश में 3 मुस्लिम राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति बने हैं. 4 मुस्लिम भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज भी एक मुस्लिम महिला थीं.

मुसलमान भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी Intelligence Bureau के प्रमुख भी रह चुके हैं. Bollywood में खान टाइटल वाले SuperStars जैसे शाहरूख खान, आमिर खान और सलमान खान का कितना नाम और दबदबा है ये हमें आपको बताने की जरूरत नहीं है.

भारत में क्रिकेट अपने आप में एक धर्म जैसा है. और यहां भी मंसूर अली खान पटौदी और मोहम्मद अजहरूद्दीन से लेकर आज मोहम्मद शमी तक कई मुसलमानों ने भारत के लिए क्रिकेट खेला है. और मोहम्मद अजहरूद्दीन तो भारत के कप्तान भी रहे हैं.

 

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