दिल्ली में ‘मोदी लहर’, बीजेपी को दो-तिहाई बहुमत, केजरीवाल को शिकस्त
अंतिम अपडेट: बुधवार अप्रैल 26, 2017
नई दिल्ली: बीजेपी पिछले दस साल से सत्ता में थी, लेकिन उसके दुष्प्रभाव से बचकर तीसरी बार उसने निगम के सिंहासन पर कब्जा जमाने जा रही है. रुझानों में तीनों निगमों में बीजेपी का कब्जा हो गया है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह पीएम मोदी की लहर को बताया जा रहा है. यूपी में हुई दमदार जीत के बाद सीधे एमसीडी चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर बाजी मार ली है. आइये जानते हैं बीजेपी की जीत के 5 कारण.
- पुराने सभी पार्षदों के टिकट काटकर बीजेपी ने सत्ता में रहने के साइड इफेक्ट को खत्म किया. कहा जाता है ये सूरत मॉडल था. सूरत निगम के पार्षदों का भी टिकट एक बार काट दिया था. बीजेपी ने निगम की उपलब्धि पर कम और मोदी सरकार के कामकाज पर ज्यादा वोट मांगे.स्थानीय चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दे पर लड़ा.
- मुख्य विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस बीजेपी की निगम में नाकामयाबी को सही तरीके से लोगों के बीच गिना नहीं सकी.
- मनोज तिवारी, रवि किशन समेत तमाम केंद्रीय मंत्री और विधायकों की फौज ने तीन हजार से ज्यादा सभा करके पीएम मोदी सरकार के कामकाज और अरविंद केजरीवाल सरकार की जमकर नाकामयाबी गिनाई.
- दिल्ली बीजेपी में पहले मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष और फिर निगम चुनाव में 38 पूर्वांचली उम्मीदवारों को टिकट देकर पूर्वांचली वोटर को गोलबंद किया.
- 21 नेताओं को निष्कासित करके बीजेपी ने बगावती तेवर वाले नेताओं को सख्त संदेश दिया. सतीश उपाध्याय, रादेश भाटिया और रवींद्र गुप्ता जैसे निगम के दिग्गज पार्षद रहे नेताओं को ओहदा देकर बगावत को दबाने में कामयाब रही. दिल्ली सरकार जानबूझकर निगम को उसके हिस्से का पैसा नहीं दे रही है. इसका प्रचार जोरशोर से किया.