गुजरात: इस बार न सीएम का नाम और न हिंदुत्व की हुंकार

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Updated at : 27 Oct 2022,

गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) का एलान होने में अब देरी नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश में 14 वीं विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी, 2023 को खत्म हो रहा है. ऐसे में यहां सभी दल जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज होने की पुरजोर तैयारियों में जुटे हैं. बीजेपी इसमें एक कदम आगे बढ़कर सक्रिय है.

पीएम का कनेक्शन तो इस राज्य से है ही तो स्वाभाविक है कि पार्टी उनकी छवि और नाम पर यहां विधानसभा चुनावों का सियासी खेल अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. चुनाव प्रचार की कमान भी पीएम मोदी ने संभाल रखी है. वो जोर-शोर से गुजरात के दौरे कर रहे हैं. इस बार के चुनावों में मोदी फैक्टर अहम माना जा रहा है. एक तरह से देखा जाए तो इस बार बीजेपी के तरकश में मोदित्व नाम का ब्रह्मास्त्र शामिल है.

देश में कहीं भी चुनाव हो बीजेपी मोदी के करिश्मे को भुनाना चाहती है. ऐसे में ये तो स्वाभाविक है कि उनके गृह राज्य गुजरात के चुनाव का खेल भी उनके नाम पर खेला जाएगा.

उनकी बीते तीन महीनों के गुजरात के दौरे इसके गवाह हैं. इस सूबे में 27 साल से सत्ता बीजेपी को यूं ही नहीं मिल गई है. ये तो तय है पार्टी ही नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी भी यहां पहले के अनुभवों का इस्तेमाल कर बीजेपी को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. लगातार सूबे में नए प्रोजेक्ट्स शुरू करना, रोड शो करना चुनाव जीतने की रणनीति का ही एक हिस्सा है. इस साल मार्च से ही पीएम मोदी महीने में कम से कम एक बार गुजरात का चक्कर लगा रहे हैं.

पीएम मोदी के रोड शो के दौरान अच्छी खासी भीड़ बता रही है कि उनके घर में उनका जादू अभी भी सिर चढ़कर बोलता है. भले ही सूबे में आप के आने से मामला त्रिकोणीय हो गया हो, लेकिन कांग्रेस और आप सीधे तौर पर मोदी से टकराने के मूड में नहीं है, इसलिए उनके निशाने पर बीजेपी के लोकल नेता है.

गौरव यात्रा और डिफेंस एक्सपो

बीते दिनों ही प्रधानमंत्री ने गुजरात में  डिफेंस एक्सपो में शिरकत कर जनता को संदेश देने की कोशिश की है कि भले ही वो प्रधानमंत्री हो लेकिन गुजरात उनकी रगों में बसता है. इसकी बेहतरी के लिए वो कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. यहां बीजेपी गुजरात गौरव यात्रा के जरिए मोदी सरकार की उपलब्धियों से लोगों को वाकिफ करा रही है. इसमें पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संग केंद्रीय मंत्री शिरकत कर रहे हैं.

इससे यह जताने की कोशिश की जा रही है कि गुजरात बीजेपी के लिए बेहद खास है. इस राज्य की सत्ता में बीजेपी बीते दो दशक से कायम है और वो ये सिलसिला बरकरार रखना चाहती है. वो किसी भी कीमत पर गुजरात की जनता को नाराज नहीं करना चाहेगी.

ऐसे में वह ऐसे विधायकों को किनारे लगाने से भी परहेज नहीं करेगी जो इस सूबे में कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाए या फिर जिनसे सूबे की जनता खफा है. पार्टी का यकीन है कि वोट तो वैसे भी पीएम मोदी के नाम पर ही मिलने हैं. पीएम मोदी खुद इस सूबे के 4 बार सीएम रह चुके हैं.

गौरतलब है कि 2017 में भी, मोदी ने अक्सर गुजरात की यात्रा की थी और विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान से पहले आधिकारिक कार्यक्रमों में भीड़ को संबोधित किया था. चुनाव की तारीखों के एलान के बाद तो उन्होंने इस सूबे में रैलियों की  लगभग बौछार कर डाली थी. ये मोदी के प्रधानमंत्री बनने के लिए राज्य छोड़ने के बाद गुजरात का पहला विधानसभा चुनाव था.

सबसे बुरी तरह प्रभावित गुजरात के व्यापारियों के साथ देश विमुद्रीकरण (Demonetisation) से जूझ रहा था. इसके अलावा, हार्दिक पटेल के नेतृत्व में पाटीदार आंदोलन की वजह से ग्रामीण गुजरात में बेहद अशांति थी. इन सबके बीच विधानसभा चुनाव से पहले हुए स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस के फिर से उभरने के संकेत मिले थे.

गुजरात को हिंदुत्व की प्रयोगशाला में बदलने के बावजूद मोदी-शाह की जोड़ी 182 सीटों में से कांग्रेस के 149 के रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाई है. ये रिकॉर्ड पूर्व  मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1980 में बनाया था.

गुजरात देश के शीर्ष राज्यों में शामिल है. शिक्षा, सेहत, आवास, सड़क, इंडस्ट्री का विकास ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर 100 नंबर मिले हैं. इसके बाद भी बीजेपी इस राज्य को लेकर कोई कोताही नहीं बरत रही है.

इसी राज्य से आने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विधानसभा चुनावों के लिए भी फुल फॉर्म में नजर आ रहे हैं. मोदी का चार्म उन्हें पता है, लेकिन इसके बाद भी राज्य के बीजेपी कार्यकर्ताओं को उनकी तरफ से केंद्र और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

लेकिन खास बात ये है कि बीजेपी के शीर्ष नेताओं की रैलियों में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल मौजूद जरूर रहते हैं लेकिन उनका नाम का जिक्र उस तरह नहीं हो रहा है जैसा कि बाकी मुख्यमंत्रियों के लिए होता रहा है.

ऐसा लग रहा है कि बीजेपी का साफ मानना है कि पटेल राजनीति के लिए भूपेंद्र चेहरा हो सकते हैं लेकिन राज्य के कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए बिना पीएम मोदी का नाम आगे लिए बिना काम नहीं चलेगा. कुल मिलाकर बीजेपी इस चुनाव को भी मोदी बनाम अन्य करने की कोशिश में है. ऐसा करके पार्टी अभी तक कई चुनाव अभियानों में विजय पा चुकी है.

गुजरात विधानसभा  चुनाव का गणित

गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटें हैं जिनमें 40 सीटें आरक्षित हैं. इसमें 13 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 27 सीटें हैं. इन सीटों पर जीत-हार तय करेगी कि सत्ता के सिंहासन पर कौन बैठेगा.साल 2017 के विधानसभा चुनावों की बात करे तो तब बीजेपी को 182 में से 99 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी.

तब  कांग्रेस को 77, भारतीय ट्राइबल पार्टी को 2 एनसीपी को 1 तो  3 सीटें निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थीं. बीते विधानसभा चुनावों में उसके सामने कांग्रेस के अलावा कोई नहीं था, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी वहां अपनी धमक जमाने के लिए मैदान में है.

इसी के मद्देनजर बीजेपी ने आगामी चुनावों के लिए रणनीति में बदलाव किया है. गृहमंत्री अमित शाह बीजेपी के कद्दावर नेता भी हैं और वो ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाह रहे हैं, जिससे बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलने में परेशानी हो. यही वजह है कि यहां खुद पीएम मोदी की छवि को कैश कराने का कोई मौका नहीं छोड़ा जा रहा है.

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