बागेश्वर बाबा की दिव्य कथा के मेजबान कमलनाथ

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Updated on: Aug 04, 2023

मध्य प्रदेश में विधानसभा से पहले हो रहे हर सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रम और जमघटों को सियासी चश्मों से टटोला जा रहा है. छिंदवाड़ा में होने वाली पंडित धीरेंद्र शास्त्री की दिव्य कथा को भी उसी कसौटी पर कसा जा रहा है. बागेश्वर धाम वाले बाबा के नाम से पहचान बना चुके धीरेंद्र शास्त्री की ये कथा बीजेपी नहीं कांग्रेस पार्टी करवा रही है. इस तरह कांग्रेस मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर नहीं बल्कि हार्ड हिदुत्व कार्ड खेल रही है.

बागेश्वर धाम की दिव्य कथा कार्यक्रम की मेजबान पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और उनके सांसद बेटे नकुलनाथ कर रहे हैं. शुक्रवार को इस दिव्य कथा का आगाज कलश यात्रा से होगा. पांच हजार महिलाएं कलश यात्रा लेकर निकलेंगी और उसके बाद अगले तीन दिनों तक छिंदवाड़ा में कमलनाथ की मौजूदगी में धीरेंद्र शास्त्री दिव्य कथा करेंगे. इस तरह से कमलनाथ दिव्य कथा के बहाने सिर्फ हिंदुत्व का दांव नहीं खेल रहे हैं बल्कि आधी आबादी को भी साधने की कवायद में हैं.

बागेश्वर बाबा की दिव्य कथा का पूरा कार्यक्रम

  • तीन दिनों की दिव्यकथा से पहले 4 अगस्त यानी शुक्रवार को दोपहर 3 बजे सिमरिया हनुमान मंदिर से कलश यात्रा निकाली जाएगी.
  • 5 अगस्त से 7 अगस्त तक रोजाना शाम 4 बजे से रात 7 बजे तक दिव्य कथा की जाएगी.
  • 7 अगस्त को ही प्रसाद वितरण के साथ इस कार्यक्रम का समापन होगा.

5000 महिलाओं की कलश यात्रा से आगाज

बताया जा रहा है कि पांच हजार से ज्यादा महिलाएं दिव्य कथा के पहले निकाली जाने वाली कलश यात्रा में शामिल होंगी. यूं तो कलश यात्राएं महिलाएं ही निकालती हैं, लेकिन जब एक साथ इतनी संख्या में महिलाएं इकट्ठी होंगी तो कांग्रेस जाहिर तौर पर इसे अपने कैंपेन को मजबूत करने के लिए जरूर इस्तेमाल करेगी. कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश में जो चुनावी वादे किए हैं, उनमें महिलाओं को खूब तवज्जो दी है. 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा हो या हर महिला को हर महीने 1500 रुपए देने की नारी सम्मान योजना. सब के केंद्र में महिलाएं हैं.

मध्य प्रदेश में आधी आबादी का वोट सत्ता तक पहुंचाने में अहम रोल अदा करने वाला है. इस वोट बैंक पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मजबूत पकड़ मानी जाती है और यही वो साइलेंट वोटर हैं, जिनके सहारे शिवराज कई बार सरकार बना चुके हैं. कांग्रेस पार्टी की कोशिश है कि शिवराज के इस वोट बैंक को अपने पाले में लाया जा सके. इसलिए दोनों प्रमुख दल- कांग्रेस और बीजेपी इस वर्ग को लुभाने के लिए रणनीति बना रहा है.

कांग्रेस की नारी सम्मान योजना के जवाब में बीजेपी ने लाड़ली बहना योजना का तीर तरकश से निकाला, जिसके तहत महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए दिए जाने लगे. ये पूरी खींचतान सूबे के पांच करोड़ में से ढाई करोड़ वोट को साधने के लिए है. राजनीतिक जानकार तो पहले से ही मध्य प्रदेश में इस बार के चुनाव का केंद्र महिलाओं और आदिवासियों को बता चुके हैं.

4 दिन हिंदुत्व के रंग में रमा दिखेगा छिंदवाड़ा

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटें जीत ली थीं. कांग्रेस के दो मजबूत किले गुना-शिवपुरी और रतलाम-झाबुआ तक बीजेपी ने छीन लिए, लेकिन मोदी की प्रचंड लहर में भी छिंदवाड़ा पर कांग्रेस की धव्जा लहराती रही. कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ने यहां जीत दर्ज की. कमलनाथ का गढ़ कहलाने वाला छिंदवाड़ा आने वाले चार दिनों तक धार्मिक रंग में रंगा दिखाई देने वाला है. राजनीतिक गलियारों में गूंज रही भाषा में कहें तो छिंदवाड़ा हिंदुत्व के रंग में रंगा दिखाई देगा.

हिंदुत्व, ये शब्द आमतौर पर देश की मौजूदा राजनीतिक हालात में बीजेपी के साथ जोड़कर देखा जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने इस शब्द को मानो बीजेपी से छीन लिया है. कर्नाटक चुनाव में मिली सफलता के बाद कांग्रेस का मनोबल काफी मजबूत था और ये माना जा रहा था कि वो आने वाले चुनावी राज्यों में हिंदुत्व का हल्का रंग ओढ़ सकती है. लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी इस रंग में सराबोर होते दिखाई दे रही है.

बागेश्वर बाबा की लोकप्रियता का कांग्रेस करेगी इस्तेमाल

विधानसभा चुनावों का आगाज कांग्रेस पार्टी ने जबलपुर में नर्मदा की पूजा अर्चना के साथ किया था. खुद प्रियंका गांधी नर्मदा की आरती करती दिखाई दी थीं. वहीं महाकाल लोक में आंधी-बारिश के रौद्र रूप ने जब सप्त ऋषियों की मूर्ति को खंडित किया तो कांग्रेस ने बीजेपी को इसी हिंदुत्व के बूते जमकर घेरा और महाकाल के कोप का भागी बीजेपी को बता डाला. अब कमलनाथ अपने गढ़ में दिव्य कथा करवा रहे हैं. वो भी हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र के पोस्टर बॉय बनते दिख रहे पंडित धीरेंद्र शास्त्री से. शास्त्री खुलकर हिंदू राष्ट्र और हिंदुत्व की बात करते हैं. उनकी लोकप्रियता को अब कांग्रेस दिव्य कथा के रूप में भुनाने की कोशिश में है.

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