बिना ड्राइवर की कारें बनाने में जुटी भोपाल की यह कंपनी, जल्द ही सड़कों पर दौड़ेंगी

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भोपाल. राजधानी के स्वायत रोबोट्स कंपनी ऑटोनॉमस कार बनाने में काम कर रही है. यानी खुद से चलने वाली गाड़ी के कई रूप हमने फिल्मों में देखे हैं. ऐसी कार का ख्याल दिलचस्प है, जो भीड़भाड़ वाली सड़कों पर दूसरे बाइक्स, सड़क पर चल रहे लोगों, गड्ढों, खुदाई और आपातकालीन स्थितियों के बीच आसानी से बिना ड्राइवर के पैसेंजर को उसकी मंजिल तक पहुंचा दे.

हमने इस सिलसिले में कंपनी के संस्थापक और सीईओ संजीव शर्मा से बात की उहोंने हमको बताया कि, रोबोटिक्स के क्षेत्र में रुचि 2009 में पैदा हुई थी, जब उन्होंने 2007 DARPA अर्बन चैलेंज में टीम MIT के वीडियो देखे थे. समय के साथ, उन्हें पता चला कि वह सबसे कठिन यातायात पर्यावरणीय परिदृश्यों में स्वायत्त ड्राइविंग को सक्षम करने के लिए अनुसंधान में सुधार करना चाहते थे, लेकिन 2014 तक ऐसा नहीं हुआ, जब शर्मा ने मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय (हार्वर्ड विश्वविद्यालय ) में अपनी पीएचडी को एक साल के लिए स्थगित कर दिया.

संजीव शर्मा बताते है उन्हें शुरू से ही रोबोटिक्स का शौक था. इंजीनियरिंग के अपने दूसरे सेमेस्टर के दौरान उन्हें रोबोटिक्स के साथ प्रयोग करने का अवसर मिला और उन्होंने इस विषय में आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने के लिए इसमें कदम रखा. शर्मा बताते है जनवरी 2009 में मेरी नज़र 2007 DARPA अर्बन चैलेंज के लिए टीम MIT द्वारा बनाए गए ऑटोनॉमस ड्राइविंग वीडियो पर पड़ी. एक विशेष वीडियो देखने से मेरा जीवन हमेशा के लिए बदल गया और स्वायत्त ड्राइविंग एक जीवन लक्ष्य बन गया, आईआईटी रूड़की और कनाडा के अल्बर्टा जैसे विश्वविद्यालय से पढ़ने के बाद मुझे ऑटोनॉमस कार में मुझे काम करना चाहिए.

मुझे मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय में 2014 के पीएचडी कार्यक्रम में पीएचडी के लिए दाखिला दिया गया था, लेकिन मैं अपना प्रवेश 2015 के लिए स्थगित करते हुए एक साल के लिए कनाडा से भारत वापस आ गया. लेकिन भारत में, मेरे पास चीजों को आज़माने के लिए एक साल था. 2015 में, मुझे एहसास हुआ कि मैं जल्द ही समस्या का समाधान कर सकता हूं, और मैंने कंपनी को औपचारिक रूप से पंजीकृत करने का फैसला किया. मैंने पीएचडी का विचार छोड़ दिया, जो जनवरी 2009 से मेरा लक्ष्य था, क्योंकि मैंने अपना स्वायत्त नेविगेशन अनुसंधान शुरू किया था.

साल 2015 में स्वायत रोबोट भोपाल में, मैने 70 लाख रुपए से खुद की कंपनी खोली. संजीव बताते हैं, हमारा उत्पाद एक स्वायत्त ड्राइविंग सॉफ्टवेयर है, जिसे आवश्यक नियंत्रकों और कम्प्यूटेशनल हार्डवेयर के साथ किसी भी वाहन के साथ एकीकृत किया जा सकता है. सॉफ़्टवेयर जिस तरह से काम करता है वह कैमरे और सेंसर (शायद LIDARs) दृश्य संवेदी डेटा प्रदान करते हैं. धारणा एल्गोरिदम इस डेटा को संसाधित करते हैं और एक वाहन के आसपास की दुनिया का 3डी (या अनुमानित 2डी) मॉडल बनाते हैं.

संजीव बताते हैं कि, भविष्यमें फॉर्च्यून बिजनेस के अनुसार, वैश्विक स्वायत्त कारों का बाजार 2020 में 1.45 बिलियन डॉलर था, जो 2021 में 1.64 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और 2028 तक 11.03 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. अल्फाबेट, रॉबर्ट बॉश, डेमलर, Baidu, Pony.ai जैसे दिग्गज फोर्ड, हुंडई, वोल्वो और अन्य कंपनियां इस सेगमेंट पर करीब से नजर रख रही हैं.अपनी तकनीक के बारे में बात करते हुए, संजीव कहते हैं,“यूरोप, उत्तरी अमेरिका और चीन में अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में हमारे पास बेहतर तकनीक है. स्वायत्त ड्राइविंग में, सुरक्षा प्राथमिक चिंता है. जिस तरह से उद्योग प्रगति कर रहा है, उन्हें सुरक्षा सुनिश्चित करने में 10 साल लगेंगे. एक बार इसका समाधान हो जाने पर लागत (परिचालन सहित) जैसे अन्य कारक एक महत्वपूर्ण कारक होंगे. जिसमें विभिन्न पैरामीटर शामिल हैं, जिनमें से एक प्रमुख कारक ऊर्जा पदचिह्न है. हमने एल्गोरिथम ढाँचे विकसित किए हैं जो पर्यावरण और यातायात अनिश्चितताओं से निपटने के मामले में अधिक सक्षम हैं. साथ ही, हमारी तकनीक बहुत कम ऊर्जा खपत वाली है, जो हमारे एल्गोरिथम ढांचे की कम्प्यूटेशनल दक्षता से प्राप्त होती है.

स्वायाट रोबोट्स ने पहले हीअमेरिका में निवेशकों से 3 मिलियन डॉलर जुटा लिए हैं, और अपनी मौजूदा तकनीक को बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए 9.5 मिलियन डॉलर जुटाने की योजना बना रही है, साथ ही यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने सहयोग को मजबूत करने और संभावित सहयोग पर भी विचार कर रही है. हम खुद को एक स्वायत्त ड्राइविंग सॉफ्टवेयर कंपनी के रूप में स्थापित कर रहे हैं, जहां हमारा सॉफ्टवेयर 2030 तक दुनिया भर में वाहनों के एक महत्वपूर्ण प्रतिशत के लिए स्वायत्त ड्राइविंग को सक्षम करेंगे.

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