चुनाव में हार के बाद बागी नेताओं की गुटबंदी से फूट की ओर बढ़ रही कांग्रेस

मुख्य समाचार, राष्ट्रीय

Updated : 17 Mar 2022,

कांग्रेस को राज्यों में मिल रही लगातार हार के बाद पार्टी में हलचल तेज हो चुकी है. एक बार फिर पार्टी के नाराज नेताओं का ग्रुप जी-23 एक्टिव हो चुका है, साथ ही अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश भी हो रही है. पार्टी नेतृत्व के खिलाफ अगर किसी को कोई भी शिकायत है तो उसके लिए जी-23 एक मंच की तरह काम कर रहा है. पांच राज्यों में हार के बाद अब इस ग्रुप ने एक बार फिर बैठक बुलाई. जिसमें कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े किए गए.

गांधी परिवार को नसीहत
बैठक के बाद के बाद एक सामूहिक बयान जारी कर बिना नाम लिए गांधी परिवार को नसीहत दी गई कि कांग्रेस का भविष्य केवल सामूहिक और समावेशी नेतृत्व का मॉडल अपनाने पर टिका है. चर्चा है कि गुरुवार को गुलाम नबी आजाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी कर सकते हैं. कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं द्वारा जारी साझा बयान में कहा गया कि हालिया विधानसभा चुनावों में आए शर्मनाक नतीजे और कांग्रेस से लगातार नेताओं और कार्यकर्ताओं के छोड़कर जाने पर चर्चा करने के लिए यह बैठक बुलाई गई थी. कांग्रेस के लिए आगे की दिशा केवल सामूहिक और समावेशी नेतृत्व का मॉडल अपनाने पर टिकी है.

असंतुष्ट नेताओं ने कहा कि बीजेपी का विरोध करने के लिए जरूरी है कि कांग्रेस को मजबूत किया जाए. बयान में मांग की गई कि 2024 में लिए विश्वसनीय विकल्प तैयार करने के लिए कांग्रेस समान विचारधारा वाले दलों के साथ बातचीत करे. बयान के अंत में यह भी कहा गया कि अगले कदम का ऐलान जल्द किया जाएगा. यह पहली बार है जब कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं की तरफ से आधिकारिक तौर पर साझा बयान जारी किया गया है. साफ है कि कांग्रेस का झगड़ा आगे और बढ़ने वाला है. सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या कांग्रेस टूट की तरफ आगे बढ़ रही है.

कांग्रेस के ये बड़े नेता हुए शामिल
गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई बैठक में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री रजिंदर कौर भट्टल, लोकसभा सांसद मनीष तिवारी, शशि थरूर, परिणीत कौर, राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा, अखिलेश प्रसाद सिंह मौजूद रहे. इनके अलावा मणिशंकर अय्यर, राज बब्बर, संदीप दीक्षित, केरल से पीजे कुरियन, हरियाणा से कुलदीप शर्मा, आंध प्रदेश से एमए खान गुजरात से शंकर सिंह वाघेला जैसे नेताओं ने भी शिरकत की. जहां G-23 के पुराने नेताओं में से 14 मौजूद रहे वहीं नए चार नेताओं में सबसे अहम मणिशंकर अय्यर रहे. कुल मिलाकर पहले के मुकाबले G-23 की संख्या भले ही अभी भी कम हो लेकिन उनका दायरा बढ़ा हुआ है.

 पहले यह बैठक कपिल सिब्बल के आवास पर होनी थी. लेकिन सिब्बल द्वारा गांधी परिवार के खिलाफ खुलकर की गई बयानबाजी के बाद जगह बदली गई. सूत्रों के मुताबिक असंतुष्ट नेताओं में ही कुछ की राय है कि सिब्बल को फिलहाल मीडिया से बात नहीं करनी चाहिए. विधानसभा चुनाव में हार के बाद सिब्बल ने गांधी परिवार को शीर्ष नेतृत्व से हटकर किसी और नेता को कमान देने की मांग की थी. इसके बाद से सिब्बल कांग्रेस के कई नेताओं के निशाने पर हैं. दूसरी तरफ चांदनी चौक जिला कांग्रेस कमेटी ने कपिल सिब्बल को पार्टी से निकाले जाने का प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है.

विधानसभा चुनाव नतीजों पर चर्चा के लिए हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में आगे की दिशा तय करने के लिए जहां कांग्रेस अप्रैल माह में चिंतन शिविर आयोजित करने का ऐलान कर चुकी है. लेकिन पार्टी के असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी ने चिंतन से पहले ही गांधी परिवार की चिंताएं बढ़ा दी हैं. वहीं पंजाब, यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों के इस्तीफे लेने के बाद सोनिया गांधी ने इन राज्यों में क्रमशः अजय माकन, जितेंद्र सिंह, अविनाश पांडे, रजनी पाटिल, जयराम रमेश को संगठनात्मक बदलाव के लिए सुझाव एकत्र करने के निर्देश दिए हैं.

 

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