MP : किसानों ने खुद बताए नए कृषि कानूनों के फायदे, कहा- कांग्रेस ने हमारे लिए कुछ नहीं किया

प्रदेश, मध्य प्रदेश, मुख्य समाचार

Publish Date – 10:22 am, Sat, 5 December 20,

पूरे देश में नए कृषि बिलों (Agriculture Bills) को लेकर सियासत जारी है. एक ओर दिल्ली में सड़कों को किसान संगठनों ने जाम कर रखा है, तो दूसरी ओर सरकार उन्हें मनाने में लगी है. अब हम आपको सिक्के का दूसरा पहलू दिखाते हैं. मध्य प्रदेश में तो अब तक कई किसान इस नए कृषि कानून का फायदा उठा चुके हैं. मध्य प्रदेश में धान की खरीदी जोरों पर है. फिलहाल सरकार ने इसकी एमएसपी यानि कि न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,880 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है.

भोपाल से करीब 20 किमी दूर स्थित खजुरीकलां गांव के कई किसानों ने हाल ही में लाखों रुपए का धान व्यापारियों को बेचा. खास बात ये है कि ये धान व्यापारी उनके घर से आकर ले गए. इसके लिए उन्हें करीब 2,500 रुपए प्रति क्विंटल भाव मिला. इस सौदे में न सिर्फ उन्हें बीते साल के मुकाबले लाखों का रुपए का फायदा हुआ है बल्कि उनकी मेहनत और खर्च भी बचा है. इन किसानों को कैसे नए कानून का फायदा मिला है आप खुद ही सुनिए.

‘नहीं सहने पड़े किसी के नखरे, मिला पूरा पैसा’

भोपाल के खजुरी कलां गांव के किसान कुबेर सिंह राजपूत ने 2 दिन पहले अपनी धान की फसल बेची. खास बात ये है कि इस बार न तो वो मंडी गए और न ही उन्हें किसी व्यापारी के नखरे सहने पड़े. रायसेन के एक व्यापारी ने उनसे संपर्क किया. मंडीदीप में एक विख्यात चावल कंपनी की ओर से व्यापारी आए. चूंकि ये चावल मल्टीनेशनल कंपनी को सप्लाई होने थे, लिहाजा भोपाल के नजदीक के गांव खजुरी कलां में कंपनी के प्रतिनिधि सर्वे करने आए और गांव के दूसरे किसानों की तरह ही कुबेर सिंह राजपूत से संपर्क करके उनके यहां चावल का सैंपल लिया.

सैंपल पास होने पर कुबेर सिंह से सौदा हुआ और 150 क्विंटल चावल कंपनी द्वारा खरीद लिया गया, जिसके लिए लगभग 2,500 रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय हुआ. कुबेर को चावल के एवज में करीब 4 लाख का भुगतान भी हुआ. टीवी 9 भारतवर्ष से बातचीत में कुबेर सिंह ने बताया कि न तो उन्हें माल की तुलाई का खर्च उठाना पड़ा, न उन्हें किसी तरह का ट्रांसपोर्टेशन लगा और न ही उनके द्वारा माल की ढुलाई का खर्चा उठाया गया. ये सारा खर्च खरीदने वाले व्यापारी ने उठाया और करीब 150 क्विंटल माल व्यापारी खरीद कर ले गया और उन्हें पूरा पैसा दे गया.

इस प्रक्रिया के बाद कुबेर सिंह काफी खुश हैं. कुबेर का कहना है कि पिछले साल वह चावल रायसेन मंडी लेकर गए थे, जहां चावल का दाम व्यापारियों ने ही 1,800 रुपए से 2,000 रुपए प्रति क्विंटल तय करके खरीदा था. यहां ट्रांसपोर्टेशन भी लगा, मंडी के अंदर तुलाई भी लगी और सैंपल के नाम पर 10-10 किलो चावल मंडी कर्मचारियों द्वारा ले जाया गया, व्यापारियों और मंडी कर्मचारियों के नखरे अलग, लेकिन अब नए कानून से फायदा हुआ है कि उन्हें धान बेचने के लिए कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ी.

कुबेर ने बताया कि इस कानून का एक फायदा और हुआ है, पहले जब माल ट्रांसपोर्ट किया जाता था तो पुलिस और उडनदस्ते वाले गाड़ी रोककर माल की रसीद मांगते थे और अगर मंडी की रसीद नहीं होती थी तो माल जब्त कर लिया जाता था. इसलिए व्यापारी कभी डायरेक्ट माल नहीं खरीदता था, मंडी से माल खरीदना उसकी मजबूरी थी लेकिन अब ये व्यवस्थाएं भी बदल गई हैं इसलिए व्यापारी किसान के पास आकर माल खरीद सकता है.

‘कांग्रेस ने विरोध के सिवाय क्या किया किसानों के लिए?’

कुबेर की तरह ही गांव के खुशीलाल ने भी 2.5 लाख की धान का सौदा किया. जिस कंपनी ने कुबेर से 4 लाख का धान खरीदा उसी ने खुशीलाल से करीब 2.5 लाख का सौदा किया. टीवी 9 भारतवर्ष से बातचीत में खुशीलाल बताते हैं कि उनकी तरह कई ऐसे किसान हैं जिन्होंने अपना माल व्यापारी को घर बैठे बेच दिया है. जो भी लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं, उन्हें बिल के बारे में जानकारी नहीं है. किसान को घर बैठे बैठे उसकी फसल का दाम मिल रहा है तो परेशानी क्या है. ये सिर्फ दिखावे के लिए किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस (Congress) अगर विरोध कर रही है तो पहले ये बताए कि उन्होंने किसानों के लिए ऐसा क्या किया. कम से कम किसानों के लिए मोदी जी सोच तो रहे हैं, उनके लिए काम तो कर रहे हैं. आपने विरोध के अलावा क्या किया किसानों के लिए. खुशीलाल बताते हैं कि अब तक बाहर का व्यापारी यहां आकर नहीं खरीद सकता था, लेकिन उसके आने से यहां के व्यापारियों के लिए कॉम्पिटिशन बढ़ जाएगा और किसान को पैसा मिलने लगेगा. किसान को और क्या चाहिए. बस अच्छा दाम मिल जाए.

‘नए कृषि कानूनों से मिला बहुत फायदा’

वहीं, रायसेन जिले के बरनी जागीर गांव के किसान दीवान सिंह का कहना है कि पहले व्यापारी को फसल बेचने में कई बार नुकसान हो जाता था. मंडी का व्यापारी कई बार पैसा लेकर गायब हो जाता था और कहीं सुनवाई नहीं होती थी. अब जब मंडी बीच में नहीं होगी तो पैसा फंसने का डर रहेगा.

इसका बस सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि किसान का पैसा नहीं फंसना चाहिए. व्यापारी आता है तो पहले पैसा लेते हैं फिर माल उन्हें सौंपते हैं. लेकिन अगर सरकार ये गारंटी दे दे कि किसान का पैसा सुरक्षित रहेगा तो और अच्छा रहेगा. फिलहाल जो कानून है उससे तो यही फायदा हुआ है कि व्यापारी घर आकर माल भी ले गया और पैसा भी दे गया.

न कोई गाड़ी लगी न ढ़ुलाई का पैसा लगा और न ही मजदूरी का पैसा लगा. दाम भी अच्छे मिल गए. एक किसान को इससे ज्यादा और क्या चाहिए. पहले मंडी जाते थे लाइन लगाते थे, अपनी बारी का इंतजार करते थे. नए कानून से ये सारी समस्याएं खत्म हो गई हैं.

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