बेहद नायाब फूल; चीन ने बना डालीं कैंसर-हार्ट की दवाएं

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शाजापुर: वैसे तो फूलों का उपयोग सुगंध और पूजा-पाठ के लिए किया जाता है, लेकिन कुछ फूलों में औषधीय गुण भी रहते हैं, जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवा और तेल के रूप में भी कर सकते हैं. ऐसा ही एक फूल है, जिसके बीज से लेकर पंखुड़ी तक सभी चीजों का उपयोग किया जाता है. इस फूल का नाम कुसुम है.

कुसुम को आमतौर पर कुसुम्भ के नाम से भी जाना जाता है. यह सबसे पुरानी तेल वाली फसल है, जिसमें 24-36% तेल होता है. इस तेल का प्रयोग खाना पकाने में ज्यादा किया जाता है. इससे तैयार खल पशुओं के चारे के लिए उपयोगी है. यह एक ऐसा फूल है, जिसका हर एक हिस्सा उपयोगी है. इस फूल से तेल और शरबत के साथ साबुन, पेंट, वार्निश, रंग भी बनते हैं.

किस समय करें इस फूल की खेती
कृषि वैज्ञानिक डॉ. जीआर अम्बावतिया बताते हैं कि शाजापुर जिला कृषि प्रधान जिला है. यहां पर दो प्रकार की फसलें की जाती हैं, खरीब में ज्वार, मक्के की खेती की जाती है. लेकिन रबी में गेहूं और चना दो फसल बड़ी हैं. कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि किसान भाई खेती में बदलाव कर रबी सीजन में कुसुम की खेती करें, जिससे अधिक मुनाफा भी मिलेगा. यह फसल कम पानी में भी अच्छा उत्पादन दे सकती है.

फूल कई बीमारियां के लिए रामबाण
विशेषज्ञ ने बताया कि चीन में कुसुम फूल से औषधि बनाई जाती है, जिससे बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जाता है. इसमें प्रमुख है हृदय रोग, आर्थराइटिस (गठिया वात), साइटिका, श्वास नली की तकलीफ जैसे कुकन खांसी, पुरानी खांसी आदि. इसके अलावा कान, नाक, आंख व त्वचा संबंधी बीमारियों में स्नायु/जोड़ों में चोट, मोच आदि में भी इसका उपयोग किया जाता है. भारत में इस प्रकार के विस्तृत चिकित्सकीय परीक्षणों की आवश्यकता है, जिससे इस चिकित्सा विधि को अधिकृत तौर पर सर्व सामान्य रोगियों को परामर्श स्वरूप दिया जा सके.

फूलों से प्राप्त होता है उत्तम रंग
डॉ. जीआर अम्बावतिया ने Local 18 को बताया कि कुसुम की पंखुड़ियों से दो प्रकार के रंग प्राप्त होते हैं. एक रंग जो आसानी से पानी में घुल जाता है और दूसरा लाल रंग का अल्कली में घुलनशील जिसे कार्थमिन रंग कहा जाता है. यह दोनों रंग प्राकृतिक होते हैं. रासायनिक रंगों की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षा एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छे माने जाते हैं. विशेषज्ञ ने बताया कि आप इस फूल के रंग का उपयोग होली में भी कर सकते हैं, क्योंकि इस फूल से निकलने वाला रंग पूरी तरह से प्राकृतिक है. इस रंग से किसी भी प्रकार से इंसान की त्वचा पर कोई नुकसान नहीं होगा.

चाय में भी उपयोगी
कुसुम चाय एक प्राकृतिक रूप से ताज़ा, स्वास्थ्यवर्धक पेय है. उबलते पानी में इस फूल की सूखी पंखुड़ियां डालकर चाय बनाई जाती है. यह चाय नियमित चाय का एक बेहतरीन विकल्प है. इसे पसंद के अनुसार मीठा किया जा सकता है. डॉ. अम्बावतिया ने Local 18 को बताया कि कुसुम की पंखुड़ी वाली चाय के कई फायदे हैं, जिससे वजन कम होना, हृदय रोग के जोखिम को कम करना, कैंसर से सुरक्षा प्रदान करना शामिल है. हर्बल चाय में ऐसे यौगिक होते हैं, जो शरीर में मुक्त कणों के उत्पादन को कम कर सकते हैं.

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