कोरोना वायरस को तोड़ने वाला 5वां देश बना भारत
18 मार्च 2020,
दुनिया के कई देशों में महामारी बन चुके कोरोना वायरस के लिए सभी देश दवाई बनाने में लगे हुए हैं. ऐसे में भारत ने इस कोरोना वायरस को लेकर बड़ी सफलता हासिल की है. भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस के स्ट्रेन्स (अलग-अलग रूप) को अलग कर लिया है जिससे कोरोना वायरस को लेकर दवाई और टीके बनाने में मदद मिलेगी.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक कई वैज्ञानिक काफी समय से कोरोना वायरस पर काम कर रहे थे. उन्होंने बताया कि पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के स्ट्रेन को अलग करने में कामयाबी पाई है.
बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों की ये खोज से कोरोना वायरस के रोकथाम में काफी मददगार साबित होगी. कोरोना वायरस के स्ट्रेन्स को अलग करने से वायरस की जांच के लिए किट बनाने में भी काफी मदद मिलेगी. यही नहीं इससे किट बनाने, दवा का पता लगाने और टीके का शोध करने में काफी मदद मिल सकेगी.
जानकारी के मुताबिक कोरोना वायरस को लेकर अभी तक कुल चार देशों को ये कामयाबी मिली है. जिनमें अमेरिका, जापान, थाईलैंड और चीन आदि शामिल हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबित आईसीएमआर पुणे की वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम का कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर भारत ने अभी पहला चरण पार कर किया है.
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि आगरा के 6 मरीज और इटली के कुछ नागरिकों से मिले वायरस को वैज्ञानिक प्रक्रिया के जरिए वायरस के स्ट्रेन को अलग (आइसोलेट) किया गया था. इसके बाद, उस स्ट्रेन को वुहान कोरोना वायरस के स्ट्रेन से मिलाया गया.
वैज्ञानिकों ने पाया कि इन दोनों वायरसों के स्ट्रेन के बीच 99.98% की समानता है. वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम का कहना है कि किसी बीमारी की खत्म करने या रोकने के लिए उसकी पहचान करना जरूरी है. ये एक तरह से यह पहला चरण कहलाता है. इसके बाद टीके और उपचार आदि के लिए काम किया जाता है.
एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने वैज्ञानिकों के काम की तरीफ की उनका कहना है कि ये एक बड़ी सफलता है. इस तरह से वायरस के स्ट्रेन को अलग करने वाला भारत दुनिया का पांचवां देश बन गया है.
इस कामयाबी से वैज्ञानिक कोरोना वायरस का टीका खोजने की दिशा में तेजी से काम कर सकेंगे. उनका मानना है कि इस वक्त लोगों को सहयोग की जरूरत है. लेकिन ये समय भी टल जाएगा. बता दें, कोरोना वायरस की जांच को लेकर अभी तक देशभर में 65 प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं.