March 24, 2025

कमलनाथ ने इंडिया गठबंधन के महाजुटान पर क्यों लगा दिया वीटो?

0
kamal-nath-india-alliance-rally-in-bhopal

Updated at : 23 Sep 2023

भोपाल में अक्टूबर के पहले हफ्ते में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस’ या इंडिया गठबंधन की पहली रैली आयोजित होनी थी, जो टल गई है. इसके बाद से ही इंडिया गठबंधन को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं.

ये इंडिया गठबंधन की पहली रैली थी जो भोपाल में आयोजित होनी थी, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चुनाव प्रभारी रणदीप सुरजेवाला के साथ एक प्रेस वार्ता के दौरान इसके रद्द होने की जानकारी दी.

जब पत्रकारों ने कमलनाथ से इसके बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा,”रैली नहीं हो रही है, स्थगित हो गई है.” वहीं रणदीप सुरजेवाला का कहना था कि रैली कब और कहां होगी इस पर कांग्रेस अध्यक्ष और ‘इंडिया’ के नेताओं के बीच बातचीत चल रही है.

हालांकि इंडिया गठबंधन की पहली रैली रद्द होने से विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया. इस मुद्दे को बीजेपी पूरी तरह भुनाने की कोशिशों में लगी हुई है. इस रैली के स्थगित होने के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे है, जिनमें एक ये भी है कि कांग्रेस इस चुनाव को क्षेत्रीय से हटाकर राष्ट्रीय नहीं बनाना चाहती है.

क्यों इंडिया गठबंधन की पहली रैली हुई रद्द?
1. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ये दावा किया है कि विपक्षी गठबंधन का ये कदम द्रमुक नेताओं के सनातन धर्म के खिलाफ की गई टिप्पणी पर ‘जनता के गुस्से’ के कारण उठाया गया है.

2. राजनीतिक जानकार इसका कारण ये भी बताते हैं कि उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए गए बयान के बाद से कांग्रेस बहुत असहज महसूस कर रही है, क्योंकि कमलनाथ ने पिछले कुछ सालों में अपनी छवि ‘हनुमान भक्त कमलनाथ’ की बनाई है.

3. हैदराबाद में हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में कांग्रेसी नेताओं को ये सलाह दी गई है कि वो बेवजह की टिप्पणियां करने से बचें, साथ ही उन्हें बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर ध्यान देने के लिए कहा गया है.

चुनावी राज्यों में इंडिया गठबंधन की रैली क्यों नहीं चाहते कमलनाथ
साथ ही कमलनाथ ये भी नहीं चाहते कि चुनावी राज्यों में इंडिया गठबंधन की रैली हो. दरअसल मध्यप्रदेश में इसी साल के आखिरी में चुनाव होने हैं ऐसे में गठबंधन पार्टियों ने तय किया था कि इंडिया गठबंधन की रैली वहीं आयोजित होनी चाहिए.

इस ऐलान के सात दिनों बाद ही कमलनाथ ने इस रैली के रद्द होने की जानकारी दी. हालांकि ये रैली क्यों रद्द की गई इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. अचानक कमलनाथ के इस ऐलान ने पार्टी और गठबंधन के नेताओं को भी चौंका दिया.

अब इसका साफ कारण ये नजर आ रहा है कि पार्टी और गठबंधन के नेता ये नहीं चाहते कि इंडिया की रैली किसी चुनावी राज्य में हो. उनका ये मानना है कि पार्टी ने पिछले दिनों स्थानीय मुद्दों को उठाया और उन्हीं पर चुनाव लड़ा गया.

जिससे पार्टी को फायदा भी हुआ. साथ ही कांग्रेस का ये भी मानना है कि पूरे देश के नेता मध्यप्रदेश में जुट जाते हैं तो ये राष्ट्रीय चुनाव बन जाएगा. ऐसे में बीजेपी को भी कांग्रेस के खिलाफ मध्यप्रदेश में मुद्दा मिल जाएगा.  खबरे हैं कि यही वजह है जिसके चलते कमलनाथ ने इस रैली को किसी दूसरे राज्य में कराने का आग्रह किया है.

वहीं जब हमने इस बारे में मध्यप्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार पवन देओलिया से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस कुछ सटिक प्लानिंग नहीं कर पा रही है. इस वजह से ऐसी स्थिति सामने आई है.

उदयनिधि का बयान भी बना एक कारण
साथ ही इस रैली के रद्द होने का एक कारण उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिया गया बयान भी है. जिसमें उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कीड़े मकौड़ों से की थी.

उदयनिधि ने कहा था, “ऐसी कुछ चीजें होती हैं जिनका विरोध करना काफी नहीं होता, हमें उन्हें समूह को मिटाना होगा. मच्छर, डेंगू बुखार, मलेरिया, कोरोना ये ऐसी चीजें हैं जिनका हम केवल विरोध नहीं कर सकते हमें इन्हें मिटाना होगा. सनातन भी ऐसा ही है.”

जिसके बाद इस बयान को लेकर भाजपा ने डीएमके के साथ गठबंधन में शामिल सभी पार्टियों को घेर लिया. बयान को लेकर कांग्रेस को प्रमुख रूप से घेरा गया.

हालांकि इसपर कांग्रेस ने भी अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं किया. बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने उदयनिधि के बयान का खुलकर समर्थन किया.

ऐसे में जब कांग्रेस सनातन धर्म के प्रति अपनी उदार छवि बनाने के लिए लगभग सभी प्रयास कर चुकी है, वो कभी नहीं चाहेगी इस रैली से उदयनिधि का बयान फिर चर्चाओं का कारण बने और मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सनातन धर्म विरोधी बनाकर प्रस्तुत किया जाए.

हालांकि अब इंडिया गठबंधन की रैली कहां और कब होगी ये सामने नहीं आया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस रैली को दिल्ली में करने का प्रस्ताव दे सकते हैं. इस गठबंधन में कांग्रेस सहित कुल 28 दल शामिल हैं जो बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव के लिए एक हुए हैं. इस गठबंधन की प्रमुख पार्टी कांग्रेस है.

ऐसा नहीं है बीजेपी ने डीएमके के साथ कभी गठबंधन नहीं किया. डीएमके हमेशा से ही जाति व्यवस्था और नास्तिक होने को लेकर स्पष्ट रही है. फिर भी बीजेपी ने दो डीएमके के साथ गठबंधन किया है.

बीबीसी से हुई बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार राशीद किदवई ने बताया, “नए गठबंधन में 28 दल हैं और सब अलग-अलग विचारधारा के हैं. भाजपा ने भी अपनी विचारधारा से कई बार समझौता किया है. बीफ के सवाल पर पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में भाजपा का बिलकुल अलग स्टैंड है.”

About The Author

Share on Social Media

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed