मध्यप्रदेश : अभी तक नहीं मिली सरकारी स्कूलों के छात्रों को साइकिल

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Updated: 20 जुलाई, 2022

भोपाल: मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले साढ़े पांच लाख बच्चे असमंजस में हैं. स्कूल खुले महीनों हो गए लेकिन उन्हें सरकारी साइकिल नहीं मिली है. कुछ जिलों में सरकार पायलट योजना के तहत साइकिल खरीदने के लिए वाउचर देने वाली थी, कुछ जिलों में प्रशासन रेट के फेर में अटका है. इस बीच कई जिलों में कबाड़ हो गई साइकिलें भी पड़ी हैं जो सरकारी व्यवस्था के कबाड़ में तब्दील होने की गवाह हैं.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि, ई वाउचर का उपयोग करें बच्चों की साइकिल खरीदने में. ई वाऊचर नंबर देंगे, चिन्हित दुकानदार होंगे जिसकी खरीदी के लिए ई रुपया जारी होगा. साइकिल खरीदने में ई वाउचर का इस्तेमाल शुरू करेंगे.

भोपाल से करीब 200 किलोमीटर दूर आगर मालवा जिला मुख्यालय के शासकीय हाई स्कूल के बच्चों को मामाजी से ना तो वाउचर मिला है, ना साइकिल… 45 बच्चे ऐसे हैं जो दूरदराज से पढ़ने आते हैं और सरकारी साइकिल मिलने की पात्रता रखते हैं.

छात्राओं को साइकिल देने के लिए 200 करोड़ का बजट है. एक साइकिल आमतौर पर 3550 रुपये की आती है, लेकिन इस साल एक साइकिल पर 400-500 का अंतर आ सकता है. अब टेंडर हुए हैं लेकिन कोटेशन अभी तक नहीं आया है. लेकिन कांग्रेस-बीजेपी के आरोप-प्रत्यारोप आ गए हैं.

नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि,हम लोग हर वर्ष साइकिल देते हैं. इस वर्ष या तो मिल गई होगी, नहीं तो मिल जाएगी. अभी शैक्षणिक वर्ष शुरू हुआ है कांग्रेस तो देती ही नहीं थी. बच्चों को साइकिल देना बंद कर दिया था. हमारी सरकार आई तो हमने शुरू किया इसमें इनको बोलने का नैतिक अधिकार ही नहीं है.

कांग्रेस के विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि, एक माफिया तंत्र मप्र के स्कूलों में काम कर रहा है. वो माफिया उन साइकिलों को कंडम कराने में लगा है ताकि उनको सिर्फ पैसा मिल जाए.

स्कूल चलें हम और हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार…यही नारा देश में दिया जाता है लेकिन हकीकत में यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन यानी यूडीआईएसई की रिपोर्ट बताती है कि देश में 51,108 सरकारी स्कूल कम हुए हैं. 2018 में मध्यप्रदेश में 122,056 सरकारी स्कूल थे जो 2020 में 99,152 हो गए. यानी 22,904 सरकारी स्कूलों की कमी. यही नहीं मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में 13,78,520 बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया. इसमें सबसे ज्यादा 8वीं के बाद.

वर्ष 2004-05 में 34268 बच्चों के लिए साइकिल 1695 में खरीदी गई. साइकिल योजना 2019-20 में 3,80,532 तक जा पहुंची, 3376 रुपये में साइकिल खरीदी गई. ये और बात है कि हजारों साइकिलों का वितरण नहीं हुआ, वो कबाड़ में चली गईं. और कोरोना के नाम पर तो पिछले दो सालों में वैसे भी साइकिल नहीं बंटीं. बड़े शहरों के लिए ये छोटी बात है, लेकिन यकीन मानिए, गांव और छोटे शहरों के लिए बहुत बड़ी बात है साइकिल.

 

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