MP : कांग्रेस के टिकट बंटवारे में किसका सिक्का चला ?

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Updated at : 18 Oct 2023

गलती किसकी है, कपड़े किसके फटने चाहिए…, भोपाल के रवींद्र भवन में कमलनाथ के सामने दिग्विजय सिंह के सवाल ने कांग्रेस के टिकट दावेदारों को असमंजस में डाल दिया है. दरअसल, सोमवार को कमलनाथ का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे टिकट बांटने के लिए दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहे थे.

बकौल कमलनाथ शिवपुरी-गुना का टिकट दिग्विजय सिंह ने बांटे हैं, इसलिए सभी लोग उनका विरोध जाकर करें. कमलनाथ का वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद दिग्विजय सिंह ने एक नसीहत भरा एक पोस्ट किया, जिसका लब्बोलुआब था- गलती का ठीकरा दूसरे पर मत फोड़िए.

कमलनाथ और दिग्विजय के अलावा भी कई बड़े नेताओं के नाराजगी की खबर है. इनमें अजय सिंह, अरुण यादव और जीतू पटवारी का नाम प्रमुख हैं. ये सभी नेता मेनिफेस्टो जारी होने के वक्त कांग्रेस के मंच पर नहीं दिखे.

सूत्रों के मुताबिक टिकट बंटवारे के फॉर्मूले से कई बड़े नेता आहत हैं, लेकिन खुलकर बोलने से अभी परहेज कर रहे हैं. हालांकि, कुछ नेताओं के समर्थकों ने कांग्रेस छोड़ दूसरी पार्टियों का दामन जरूर थाम लिया है.

कांग्रेस में टिकट कैसे बंटे?
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक उम्मीदवार चयन के लिए पार्टी ने सभी सीटों को 3 कैटेगरी में बांटा था. पहली कैटेगरी में जहां से विधायक जीते हैं, उन्हें रखा गया था. वहीं दूसरी कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया था जहां पिछले चुनाव में काफी करीबी मुकाबले से हार मिली थी.

तीसरी कैटेगरी में उन सीटों को रखा गया था, जहां या तो लंबे वक्त से कांग्रेस जीत नहीं रही थी या किसी तीसरे उम्मीदवार की वजह से हार रही थी.

1. सीटिंग विधायकों के टिकट में ज्यादा बदलाव नहीं- कांग्रेस के पास वर्तमान में 91 विधायक हैं. पहली सूची में पार्टी ने 69 विधायकों को टिकट दे दिया है. सिर्फ 5 विधायकों के टिकट काटे गए हैं. हालांकि, टिकट कटने वाले विधायकों ने कोई विरोध नहीं किया है.

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पहली सूची में उन विधायकों के नाम ऐलान किए गए हैं, जहां उनके बदले कोई मजबूत दावेदार नहीं था. मजबूत दावेदार वाले सीट पर नाम होल्ड कर दिए गए हैं. इसकी घोषणा दूसरी लिस्ट में होने की संभावना है.

छिंदवाड़ा की भी 6 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की गई है. कमलनाथ ने यहां नकुलनाथ को घोषणा करने की जिम्मेदारी सौंपी है. नकुलनाथ मध्य प्रदेश से एकमात्र कांग्रेस के सांसद हैं.

पहली लिस्ट में कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 5 हजार से कम वोटों से हारने वाले उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है.

2. जहां करीबी मुकाबला, वहां सर्वे का आधार- पिछले चुनाव में जिन सीटों पर कांग्रेस 5 हजार से ज्यादा वोटों से हारी थी, वहां पार्टी ने सर्वे कराए थे. सूत्रों के मुताबिक टिकट वितरण के लिए कमलनाथ और प्रदेश कांग्रेस ने अलग-अलग सर्वे कराए थे.

इसी सर्वे को आधार बनाकर दावेदारों के नाम आगे प्रीयरिटी लिखकर दिल्ली भेजा गया था. पार्टी ने सर्वे को आधार बनाकर ही दलबदलुओं का भी जमकर खातिरदारी की है. कांग्रेस ने 144 उम्मीदवारों की सूची में 6  बाहरियों को टिकट दिया है.

कांग्रेस के एक दावेदार ने नाम न बताने की शर्त पर बताया- सर्वे का उपयोग जातीय समीकरण साधने के लिए सबसे ज्यादा किया गया है. उदाहरण के लिए- नरेला विधानसभा सीट पर मुसलमान, ब्राह्मण और कायस्थ मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है.

यहां कांग्रेस ने कायस्थ विश्वास सारंग के मुकाबले ब्राह्मण मनोज शुक्ला को मैदान में उतारा है. कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर यहां ब्राह्मण और मुसलमान वोटर्स मिल गए, तो सारंग को चुनाव हराया जा सकता है.

3. खेल बिगाड़ने वाले तीसरे उम्मीदवारों को भी तरजीह- कांग्रेस ने 6 दलबदलुओं के साथ ही 7 उन नेताओं को भी प्रत्याशी बनाया है, जिसकी वजह से पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों की हार हुई थी.

खुद कमलनाथ ने इसके पीछे तर्क दिए हैं. कमलनाथ के मुताबिक हमने उन सीटों का समीकरण देखा है और जहां तीसरे उम्मीदवार ज्यादा वोट लाने में कामयाब थे, वहां उसी को टिकट दिया गया है.

कमलनाथ के मुताबिक 4000 लोगों ने टिकट की दावेदारी की थी. उनमें से सबको टिकट देना संभव नहीं था, इसलिए सीटों को कैटेगरी के हिसाब से बांटा गया था. कांग्रेस ने कुछ जगहों पर हाई-प्रोफाइल लोगों को भी टिकट दिया है.

इनमें बुधनी जैसी सीट भी शामिल हैं. बुधनी से विक्रम मस्ताल शर्मा को उम्मीदवार बनाया गया है. शर्मा टीवी सीरियल में काम कर चुके है. विक्रम के बहाने कांग्रेस रणनीतिकारों की कोशिश शिवराज को कलाकार बताने की है, जिससे नर्मदांचल एरिया में उनकी छवि कमजोर पड़ जाए.

कमलनाथ या दिग्विजय… टिकट वितरण में किसकी चली?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस में अब मुख्यत: 3 गुट सक्रिय है. इनमें कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और अजय-अरुण का गुट शामिल हैं. अजय-अरुण खेमा कमलनाथ के अध्यक्ष बनने से पहले काफी पावरफुल थे.

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि 144 नामों की जो सूची है, उनमें 69 तो सीटिंग विधायक ही हैं. यानी 75 ही ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्हें टिकट दिया गया है.

दिग्विजय सिंह के करीबी और टिकट की रेस में शामिल एक दावेदार के मुताबिक महाकौशल को छोड़ कर जो भी टिकट बंटा है, उसमें दिग्गी राजा की रायशुमारी है. महाकौशल में कमलनाथ ने बिना किसी सिफारिश के टिकट बांटे हैं.

छिंदवाड़ा की 6 सीटों पर उम्मीदवार चयन की जिम्मेदारी उन्होंने अपने बेटे को दे दी है. कांग्रेस में यह पहली बार होगा, जब दिल्ली की बजाय जिले से टिकट की घोषणा की जाएगी.

इसी तरह गुना-शिवपुरी इलाके में दिग्विजय सिंह की सिफारिश का खास ख्याल रखा गया है. उनके परिवार से ही 3 टिकट दिए गए हैं. दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन राघौगढ़ से, भतीजे प्रियव्रत खिलचीपुर से और भाई लक्ष्मण चाचौड़ा से उम्मीदवार बनाए गए हैं.

दिग्विजय के करीबी और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह के परिवार से भी 2 लोगों को टिकट दिया गया है. लहार से गोविंद सिंह खुद चुनाव लड़ेंगे, जबकि मेहगांव से उनके भांजे राहुल को टिकट मिला है.

बामोरी सीट से जयवर्धन सिंह के करीबी ऋषि अग्रवाल को टिकट मिला है. ऋषि के पिता कन्हैयालाल अग्रवाल इस सीट से 3 बार चुनाव हार चुके हैं.

कांग्रेस की पहली लिस्ट में अजय सिंह के 5 करीबियों को भी जगह मिली है. अजय सिंह खुद चुरहट से चुनाव लड़ेंगे. उनके मामा राजेंद्र सिंह को भी टिकट दिया गया है. इसके अलावा नीलांशु चतुर्वेदी को भी उम्मीदवार बनाया गया है.

निमाड़ को लेकर अब भी पेंच फंसा हुआ है. अरुण यादव के दबाव की वजह से यहां कई सीटों को होल्ड कर दिया गया है. हालांकि, कांग्रेस ने उनके भाई सचिन यादव को कसरावद से उम्मीदवार बनाया है.

कांतिलाल भूरिया इस बार एक ही टिकट लेने में कामयाब रहे. उनके बेटे विक्रांत को सिर्फ झाबुआ से प्रत्याशी बनाया गया है. भूरिया खुद जोबट से चुनाव लड़ना चाहते थे, जहां से पिछली बार उनकी बहन चुनाव जीती थी, लेकिन पार्टी ने उनकी सिफारिश को नहीं माना.

जीतू पटवारी के 2 करीबियों का भी सूची में ख्याल रखा गया है. सुवासरा से जीतू के करीबी राकेश पाटीदार को उम्मीदवार बनाया गया है, जबकि घटिया से रामलाल मालवीय को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है.

यहां उम्मीदवारों का विरोध सबसे ज्यादा
झाबुआ सीट पर विक्रांत भूरिया के उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया. यहां जेवियर मेड़ा भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे. पिछली बार मेड़ा ने ही विक्रांत का खेल खराब कर दिया था. विक्रांत बीजेपी के प्रत्याशी से 10 हजार वोट से चुनाव हारे थे, जबकि मेड़ा को यहां 35 हजार वोट मिले थे.

शिवपुरी में भी कांग्रेस के उम्मीदवार का विरोध हो रहा है. यहां कांग्रेस के केपी सिंह को प्रत्याशी बनाया है. सिंह का विरोध वीरेंद्र रघुवंशी के समर्थक कर रहे हैं. बमोरी में ऋषि शुक्ला का विरोध सुमेर सिंह के समर्थक कर रहे हैं.

ग्वालियर ग्रामीण सीट पर भी कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध हो रहा है. यहां भी कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके अलावा बुधनी में भी कांग्रेस के विक्रम मस्ताल का विरोध किया जा रहा है. यहां स्थानीय उम्मीदवार दिए जाने की मांग की जा रही है.

विंध्य के कद्दावर नेता यादवेंद्र सिंह ने अपना इस्तीफा दे दिया है. वहीं सतना सीट से दावेदारी ठोक रहे सिद्धार्थ तिवारी भी नाराज हैं. उनके बीजेपी में जाने की अटकलें लग रही है.

दिग्विजय बोले- सत्ता में हिस्सेदारी सबको मिलेगी
कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद से जारी बगावत के बीच दिग्विजय सिंह एक बयान जारी किया है. दिग्विजय ने कहा है कि 1985 से ही कांग्रेस के टिकट बंटवारे में मेरी भूमिका रही है. यह एक कठिन काम है, क्योंकि 230 टिकट देने होते हैं और दावेदारों की संख्या हजारों में रहती है.

दिग्गी राजा ने कहा है कि जिन लोगों को लगता है कि उनके साथ गलत हुआ है, वो अपना आवेदन कांग्रेस महासचिव को जाकर दें. उन्होंने यह भी कहा है कि सभी लोग पार्टी के लिए काम करें. आगे उनका ख्याल रखा जाएगा.

दिग्विजय ने बड़े नेताओं से भी इस विवाद को धैर्य के साथ सुलझाने के लिए कहा है.

144 में 19 तो 30 आदिवासियों को टिकट
कांग्रेस ने उम्मीदवारों की पहली सूची में 16 महिलाओं को जगह दी गई है.  कांग्रेस के मीडिया पैनलिस्ट चरण सिंह सपरा ने भोपाल में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पहली सूची में कांग्रेस ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) से 39, अनुसूचित जाति से 22 तथा अनुसूचित जनजाति से 30 उम्मीदवार उतारे हैं.

उन्होंने बताया कि सूची में सामान्य श्रेणी के 47 उम्मीदवार हैं, जबकि अल्पसंख्यक समुदाय के छह और 19 महिला उम्मीदवारों के नाम भी इस सूची में शामिल हैं. सपरा ने कहा कि 144 उम्मीदवारों में से 65 की उम्र 50 साल से कम है.

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