भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, कतर में फांसी की सजा पाए 8 भारतीय रिहा
Updated: 12 फ़रवरी, 2024
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत सरकार को एक बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है क्योंकि कतर ने सोमवार को उन 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा कर दिया है, जिन्हें कथित तौर पर जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. इससे पहले नई दिल्ली के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद दोहा ने पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों की मौत की सजा को कम कर के जेल की सजा में बदल दिया था.
क़तर के अमीर के आदेश पर भारतीयों की रिहाई हुई है.आठों भारतीयों को पहले मौत की सज़ा दी गई थी. एक अपील के बाद मौत की सज़ा बदल कर 5 से 25 साल तक की क़ैद की सज़ा दी गई थी. दूसरी अपील पर सुनवायी चल रही थी. इस बीच अमीर के आदेश पर रिहाई हो गई. सात भारतीय देश लौट गए हैं. भारत ने क़तर के अमीर का शुक्रिया किया है.
अगस्त 2022 में 8 पूर्व नौसेना कर्मियों को किया गया था गिरफ्तार
नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को जासूसी के आरोप में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था और कतर की एक अदालत ने अक्टूबर में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी. ये सभी भारतीय नागरिक दहारा ग्लोबल कंपनी के लिए काम कर रहे थे. हालांकि, उन पर लगे आरोपों को कतर के अधिकारियों ने सार्वजनिक नहीं किया था.
मौत की सजा को कम कर सुनाई थी जेल की सजा
विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस बयान में कहा था कि, इससे पहले कतर की अदालत ने मामले में आठ पूर्व कर्मियों की मौत की सजा को कम कर दिया था और उन्हें अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा में तबदील कर दिया था. फैसले के बारे में बताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा था, ”हमने दहरा ग्लोबल मामले में कतर की अपील अदालत के आज के फैसले पर गौर किया है, जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं. विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि मामले में विस्तृत फैसले का इंतजार है और वह कतर में कानूनी टीम के साथ निकटता से संपर्क बनाए हुए है.”
सजा पर अपील के लिए मिला था 60 दिन का समय
विदेश मंत्रालय के नवनियुक्त प्रवक्ता जयसवाल ने कहा था कि ”मामले पर उन्हें कतर की सर्वोच्चतम न्यायालय ”कोर्ट ऑफ कैसेशन” में अपील करने के लिए 60 दिन का समय मिला है. विदेश मंत्रालय की कानूनी टीम के पास गोपनीय अदालती आदेश भी है जिसमें मौत की सजा को कारावास की शर्तों में बदलने का विवरण दिया गया था. कतर की अदालत ने मौत की सजा को कारावास में बदलने के इस फैसले को 28 दिसंबर 2023 को सुनाया था.
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