मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बारिश का पूर्वानुमान, कई स्थानों पर ओले भी गिरेंगे

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Updated: Dec 11, 2020,

भोपालः मध्य प्रदेश के कई इलाकों में शुक्रवार दोपहर बारिश की संभावना है. मौसम विभाग के मुताबिक भोपाल, सागर, ग्वालियर और उज्जैन संभाग समेत इंदौर, अलीराजपुर, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन, धार में भी बारिश होगी. यह सिलसिला 15 दिसंबर तक जारी रहने का अनुमान है. बारिश के साथ राज्य में पारा तेजी से गिरेगा. आगामी दिनों में शीतलहर की भी संभावना मौसम विभाग की ओर से जताई गई है.

अमूमन दिसंबर माह में राजधानी भोपाल सहित पूरे मध्य प्रदेश में ठिठुरन बढ़ने लगती है. लेकिन पिछले 10 दिन से सर्दी गायब है. दिसंबर महीने में बीते साल की तुलना में इस साल दिन और रात के तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. उधर समुद्र में हलचल बढ़ने से मौसम का मिजाज बिगड़ने वाला है. राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के कई स्थानों पर शुक्रवार से बादल छाने लगेंगे. बारिश होगी. यह सिलसिला रुक-रुक कर तीन-चार दिन तक चल सकता है.

कुछ स्थानों पर आले भी गिरने की संभावना है
इस दौरान कहीं-कहीं ओले भी गिर सकते हैं. मौसम विभाग की मानें तो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में ऊपरी हवा के चक्रवात बने हुए हैं. अरब सागर में बना साइक्लोनिक सिस्टम कम दबाव के क्षेत्र में तब्दील होने जा रहा है. इससे हवा में नमी बढ़ेगी, बादल छाए रहेंगे. शुक्रवार से भोपाल सहित राज्य के पश्चिमी क्षेत्रों में बारिश का सिलसला शुरू हो जाएगा.पूर्वी मध्य प्रदेश में शनिवार को बारिश हो सकती है. कुछ स्थानों पर ओले भी गिर सकते हैं.

रात का पारा गिरेगा, दिन के तापमान में बहुत अंतर नहीं
मध्य प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में बादल छाने के कारण प्रदेश में रात का तापमान गिर गया है. हालांकि, दिन के तापमान में बहुत ज्यादा अंतर आने की संभावना मौसम विभाग की ओर से नहीं जाहिर की गई. खासतौर से इंदौर और उज्जैन संभागों में अगले 48 घंटे के बाद हल्की बारिश की संभावना सबसे ज्यादा है. भोपाल में दिन और रात के तापमान में मामूली गिरावट दर्ज की गई है.

मौसम में बदलाव का जानें क्या है कारण?
मौसम विभाग के मुताबिक वर्तमान में पश्चिम उत्तर राजस्थान के ऊपर चक्रवातीय परिसंचरण समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई तक सक्रिय है. दक्षिण पूर्व अरेबियन सागर में कम दबाव का क्षेत्र बनने और गुजरात की तरफ से नमी आने के कारण बादल छा गए हैं. इसी कारण बारिश की संभावना बढ़ गई है. वहीं पश्चिमी विक्षोभ मध्य और ऊपरी क्षोभ मंडल की पछुवा पवनों के बीच एक टर्फ के रूप में समुद्र तल से 5.8 किमी की ऊंचाई पर धुरी बनाते हुए सक्रिय है.

 

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