बीजेपी को CM चुनने में जब भी लगा 5 दिन से ज्यादा वक्त, हो गया यह खेल

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Updated at : 09 Dec 2023

विधानसभा चुनाव परिणाम 2023 के 5 दिन बीत चुके हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री नहीं चुन पाई है. बड़े से लेकर छोटे नेता तक एक ही बात कह रहे हैं- सबकुछ हाईकमान तय करेंगे. हाईकमान मतलब नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा.

हालांकि, मुख्यमंत्री चुनने में हो रही देरी के गणित ने बड़े नेताओं की धड़कनें बढ़ा दी है. बीजेपी ने जब भी मुख्यमंत्री चुनने में 5 दिन से ज्यादा का वक्त लगाया, तब पार्टी ने पुराने के बदले नए चेहरे को तरजीह दी.

मसलन, 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनने में बीजेपी ने 9 दिन का समय लगाया था. उस वक्त राजनाथ सिंह, मनोज सिन्हा जैसे बड़े नेता मुख्यमंत्री की रेस में शामिल थे, लेकिन बीजेपी ने नए चेहरे महंथ योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी सौंपी.

उसी साल उत्तराखंड के चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिली थी. पार्टी को यहां भी मुख्यमंत्री चुनने में 8 दिन का वक्त लग गया था. पार्टी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था, जबकि बीएस खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे पुराने नेता यहां मजबूत दावेदार थे.

इसी तरह सीएम सिलेक्शन के लिए हिमाचल (2017) और महाराष्ट्र (2014) में पार्टी को 7 दिन का वक्त लगा था. दोनों जगहों पर बीजेपी ने पुराने चेहरे को नकार कर नए चेहरे को कमान सौंपी थी.

हिमाचल में धूमल और महाराष्ट्र में नितिन गडकरी मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार थे. हरियाणा (2014) में भी बीजेपी को मुख्यमंत्री चुनने में 6 दिन का वक्त लगा था. यहां पार्टी ने नए चेहरे मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया था.

2013 में लगे थे 3 दिन का वक्त
2013 में भी भारतीय जनता पार्टी को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बंपर जीत मिली थी. उस समय राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष थे. 2013 में पार्टी को मुख्यमंत्री चुनने में 3 दिन का वक्त लगा था.

8 दिसंबर को चुनावी नतीजे आए थे और 11 दिसंबर को पार्टी ने मध्य प्रदेश में शिवराज और छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को कमान देने की घोषणा कर दी थी. 12 दिसंबर को वसुंधरा राजे के नाम का ऐलान किया गया था.

2013 में चुनाव परिणाम आते ही बीजेपी ने इन राज्यों के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया था. उस वक्त मध्य प्रदेश के लिए सुषमा स्वराज, राजीव प्रताप रूडी और अनंत कुमार को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया था.

वेंकैया नायडू, जेपी नड्डा और धर्मेंद्र प्रधान छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षक थे, जबकि अरुण जेटली, अमित शाह और कप्तान सोलंकी बतौर पर्यवेक्षक बनकर राजस्थान गए थे.

5 दिन से कम का वक्त लगा यानी चेहरा रिपीट
2019 में हरियाणा चुनाव के रिजल्ट के 3 दिन बाद ही बीजेपी ने मुख्यमंत्री नाम की घोषणा कर दी. पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को ही दूसरी बार राज्य की बागडोर संभालने की जिम्मेदारी सौंपी.

गुजरात में भी 8 दिसंबर 2022 को चुनाव परिणाम आया, जिसमें बीजेपी को एकतरफा जीत मिली. पार्टी ने 3 दिन के भीतर ही मुख्यमंत्री का नाम ऐलान कर दिया. भूपेंद्र पटेल को ही पार्टी ने सीएम की जिम्मेदारी सौंपी.

2019 में महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के 5 दिन बाद ही देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी ने विधायक दल का नेता चुन लिया था. हालांकि, शिवसेना की वजह से फडणवीस उस वक्त सरकार नहीं बना पाए थे. शिवसेना ने पावर शेयरिंग के मुद्दे पर बीजेपी से समर्थन वापस ले लिया था.

सीएम हर बार रिपीट, एक अपवाद शिवराज के लिए खतरा
2014 के बाद सत्ता में रहते हुए बीजेपी ने जिस भी राज्य में चुनाव जीती है, वहां के मुख्यमंत्री नहीं बदला है. हालांकि, 2021 का असम चुनाव इसका अपवाद है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि यही डर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सता रहा है.

2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत के बाद विजय रुपाणी को ही फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया था. 2019 में हरियाणा में भी यही हुआा. जीत के बाद पार्टी ने खट्टर पर ही भरोसा जताया. 2022 में यूपी, गोवा और उत्तराखंड में भी जीत के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री नहीं बदला.

उत्तराखंड में तो मुख्यमंत्री धामी विधानसभा का चुनाव भी हार गए थे.

इसी तरह अरुणाचल में जीत के बाद पेमा खांडू और त्रिपुरा में जीत के बाद माणिक साहा की सत्ता बरकरार रही. दोनों चुनाव से पहले भी राज्य के मुख्यमंत्री थे.

मुख्यमंत्री को लेकर क्यों फंसा है पेंच?
1. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछले 20 साल में पहली बार मुख्यमंत्री चेहरे के बिना बीजेपी चुनाव मैदान में उतरी थी. तीनों ही राज्य में बीजेपी का यह प्लान काम कर गया है. इसी वजह से मुख्यमंत्री तय करने में पार्टी को मशक्कत करनी पड़ रही है.

2. पिछले 2 दशक राजस्थान में वसुंधरा राजे, छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के इर्द-गिर्द बीजेपी की राजनीति घूम रही है. कहा जा रहा है कि हाईकमान अब इसे खत्म करना चाहती है.

3. राजस्थान में वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान काफी मजबूत स्थिति में हैं. लोकसभा चुनाव के नजदीक होने की वजह से बीजेपी कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेना चाहती है.

कहां कितने दावेदार, एक नजर इस पर भी

 मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के अलावा प्रह्लाद पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया,  सुमित्रा वाल्मिकी, सुमेर सोलंकी मजबूत दावेदार हैं. इसके अलावा हिमाद्री सिंह, वीरेंद्र खटीक और संध्या राय के नाम की भी चर्चा है. तीनों अभी लोकसभा के सांसद हैं.

 राजस्थान में वसुंधरा राजे के अलावा ओम माथुर, अर्जुम राम मेघवाल, ओम बिरला और दीया कुमारी मजबूत दावेदार हैं. बाबा बालकनाथ, सीपी जोशी और अश्विणी वैष्णव का भी नाम पार्टी के भीतर चर्चा में है. वैष्णव मोदी के गुडबुक में हैं.

 छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के अलावा रेणुका सिंह, ओपी चौधरी और अरुण साव मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं. चर्चा मोहन मरांडी, धरमलाल कौशिक और रामविचार नेताम के नाम की भी है.

बीजेपी कैसे चुनती है राज्यों में मुख्यमंत्री?
भारतीय जनता पार्टी में भी मुख्यमंत्री चयन की प्रक्रिया कांग्रेस की तरह ही है. चुनाव में जीत के बाद दिल्ली से पर्यवेक्षक भेजे जाते हैं. पर्यवेक्षक सभी विधायकों से राय लेते हैं और आलाकमान को बताते हैं.

इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपना फैसला सुनाते हैं, जो विधायक दल की मीटिंग में बताया जाता है. कई बार पेंच फंसने पर सभी बड़े नेताओं को दिल्ली बुलाया जाता है और उसके बाद फैसला सुनाया जाता है.

इस बार बीजेपी ने राजस्थान के लिए राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तावड़े, मध्य प्रदेश के लिए मनोहर लाल खट्टर, के लक्ष्मण और आशा लकड़ा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री चयन के लिए बीजेपी ने अर्जुन मुंडा, सर्वानंद सोनोवाल और दुष्यंत गौतम को पर्यवेक्षक बनाकर भेजने का फैसला किया है.

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