भोपाल में 4 नवंबर से ‘विश्व रंग’ में बिखरेंगे साहित्य, संस्कृति और कलाओं के इंद्रधनुषी रंग

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भोपाल। साहित्य और संस्कृति के इन्द्रधनुषी रंगों को समेटता देश का पहला अंतरराष्ट्रीय उत्सव ‘विश्व रंग’ अपनी गरिमामय भव्यता के साथ शुरू हो रहा है। रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की पहल पर आयोजित इस अनूठे जलसे का शुभारंभ 4 नवंबर की शाम 6 बजे रवीन्द्र भवन में मध्यप्रदेश के माननीय राज्यपाल श्री लालजी टंडन करेंगे। सात दिनों तक क्रमशः रवीन्द्र भवन, भारत भवन और मिंटो हाॅल में चलने वाले इस विश्वकुंभ में साहित्य, संस्कृति, दर्शन, शिक्षा, सिनेमा, मीडिया, विज्ञान, टेक्नालाॅजी आदि क्षेत्रों से जुड़ी नामचीन हस्तियाँ शिरकत करेंगी। ‘विश्व रंग’ की गतिविधियों के दौरान भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न से सम्मानित श्री प्रणब मुखर्जी, उत्तरप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल सहित अनेक गणमान्य विभूतियाँ उपस्थित होंगी। भारत के किसी शैक्षणिक संस्थान की पहल पर होने वाला यह पहला विश्व स्तरीय साहित्य कला महोत्सव है।
यह जानकारी रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, ‘विश्व रंग’ के निदेशक तथा हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार-संस्कृतिकर्मी संतोष चैबे ने एक संवाददाता सम्मेलन में दी। उन्होंने बताया कि 30 देशों के पाँच सौ से भी ज़्यादा विभिन्न भाषा-भाषी साहित्यकारों और कला-संस्कृति की नामचीन हस्तियों का ‘विश्व रंग’ में हिस्सा बनना निश्चय ही एक नया कीर्तिमान रचेगा। कविता, कहानियों-किस्सों और बहसों के बीच संगीत, नाटक, अभिनय और रंग-रूपहले चित्रों से रौशन महफिलों का कारवाँ सुनी-अनसुनी आवाज़ों की दिलचस्प दुनिया रचेगा। सात दिनों में साठ सत्रों के आसपास फैली ‘विश्व रंग’ की गतिविधियों में साहित्य संस्कृति, शिक्षा, सिनेमा, पत्रकारिता, पर्यावरण सहित अनेक विषयों पर संवाद होगा। पत्रकार वार्ता में आईसेक्ट के निदेशक और ‘विश्व रंग’ के सह-निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी, टैगोर विश्वविद्यालय के कुल सचिव डा. विजय सिंह, वनमाली सृजन पीठ भोपाल इकाई के अध्यक्ष मुकेश वर्मा और टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक तथा विश्व रंग के सांस्कृतिक समन्वयक विनय उपाध्याय ने भी गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी।
जाड़े की गुलाबी दस्तक के साथ भोपाल की सरज़मीं साहित्य और संस्कृति की अलहदा रंगो-महक से गुलज़ार होगी। रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय इन बेमिसाल सौगातों के साथ ‘विश्व रंग’ महोत्सव का अनूठा ताना-बाना लिए देश और दुनिया की सांस्कृतिक धड़कनों को अपने दामन में समेट रहा है। 4 से 10 नवंबर तक भारत भवन, मिंटो हाल और रवीन्द्र भवन में अनेक नामचीन शख्सियतें अपनी शिरकत से
‘विश्व रंग’ को भव्यता प्रदान करेंगी।
श्री संतोष चैबे ने बताया कि ‘विश्व रंग‘ हिन्दी और भारतीय भाषाओं के बीच वैचारिक संवाद तथा सांस्कृतिक आपसदारी का विराट समागम होगा। ‘विश्वरंग‘ में भारतवर्ष के साहित्य एकेडमी, पद्म भूषण एवं पद्मश्री जैसे सम्मानों से विभूषित सौ से अधिक रचनाकारों और विचारकों के साथ-साथ विश्व के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और छात्रों की हिस्सेदारी हो रही है। देश और प्रदेश के कई शासकीय साहित्यिक-सांस्कृतिक उपक्रमों के साथ ही अन्य विश्वविद्यालय और संस्थानों की साझेदारी इसे समग्रता प्रदान करेगी। इस महोत्सव में हिन्दी सहित भारतीय तथा विदेशी भाषाओं के कवियों के साथ ही थर्ड जेंडर और सिनेमाकर्मी कवियों का रचना पाठ भी शामिल किया गया है। लेखक से मिलिये, टैगोर कला कृतियों की प्रदर्शनी, नाट्य संगीत प्रस्तुति, पुस्तक चर्चा और किताबों का लोकार्पण भी आकर्षण का केन्द्र होंगे। यह महोत्सव छोटे गाँव-कस्बों से लेकर महानगर तथा सुदूर देशों के बीच एक साझा रचनात्मक अभियान की शक्ल ले सका है, जिसमें नवोदित

और प्रौढ़ लेखकों के साथ वरिष्ठ और अग्रणी शख्सियतें एक साथ शामिल हो रही हैं। विभिन्न विधाओं में सक्रिय भारतीय भाषाओं के चर्चित विद्वान मनीषियों के साथ चीन, जापान, अमेरिका, कनाडा, आॅस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, डेनमार्क, नीदरलैंड, रशिया और उज्बेकिस्तान-कजाकिस्तान जैसे कई मुल्कों के रचनाकार तथा शोधार्थियों की सहमति ने इसे वैश्विक ताक़त प्रदान की है।
युवा पीढ़ी के लिए यह महोत्सव निश्चिय ही संवाद और मनोरंजन का अनूठा मंच है। कविता पाठ और कला प्रस्तुतियों से लेकर चर्चित और चहेती शख़्सियतों से मुलाकात का एक रोचक सिलसिला इस दौरान तैयार हो रहा है। भारत सरकार के विभिन्न सांस्कृतिक उपक्रमों के साथ ही देश-प्रदेश की सभी प्रमुख स्वयंसेवी सांस्कृतिक संस्थाएँ ‘विश्व रंग‘ की गतिविधियों में सहयोगी है।

‘विश्व रंग’ में ‘कथादेश’, वनमाली सम्मान और अनेक नामचीन हस्तियाँ
कथादेश के संपादक मुकेश वर्मा ने बताया कि ‘विश्व रंग’ के अवसर पर देश की दो सौ वर्षों की कथा परंपरा एवं लगभग 600 रचनाकारों को समेटते, 18 खंडों में प्रकाशित, ‘कथादेश’ का लोकार्पण तथा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय वनमाली कथा सम्मान का आयोजन भी रचनात्मक गरिमा का प्रतीक बन रहे है। साहित्य, संस्कृति और कलाओं की सृजनशील दुनिया की अनेक बहुचर्चित विभूतियाँ अपनी उपस्थिति से ‘विश्व रंग’ को गरिमा प्रदान करेंगी। प्रख्यात रंगकर्मी उषा गांगुली सहित प्रभाकर कोल्टे, किश्वर देसाई, चित्रा मुद्गल, डाॅ. धनंजय वर्मा, ममता कालिया, उषा किरण खान, असग़र वजाहत, देवेन्द्रराज अंकुर, लीलाधर मंडलोई, कैलाश चंद्र पंत, आबिद सुरती, दिविक रमेश, प्रभु जोशी, राजीव वर्मा, गुंदेचा बंधु, शीनकाफ निज़ाम, सी. राधाकृष्णन, ध्रुवा ज्योति बोरहा, याकूब, ज्याॅर्ज ज़िटर्स, डाॅ. रमेशचंद्र शाह, रजत कपूर, आशुतोष राणा, इरशाद कामिल, स्वानंद किरकिरे, राजेन्द्र गुप्ता, ज्योति कपूर, जयंत देशमुख, सच्चिदानंद जोशी, राहत इंदौरी, वसीम बरेलवी, नुसरत मेहंदी, नगीन तनवीर आदि अनेक हस्तियाँ विभिन्न सत्रों में प्रस्तुति और संवाद के लिए दर्शक-श्रोताओं से मुख़ातिब होंगी।

अनूठे प्रकाशन और लोकार्पण
‘विश्व रंग’ के सह-निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने जानकारी दी कि शब्द, रंग, ध्वनि और दृश्य की विविध छवियों के आसपास रचे-बसे
‘विश्व रंग’ के मंच पर अनेक दस्तावेज़ी प्रकाशनों का लोकार्पण होगा। इस क्रम में नेशनल पेटिंग प्रदर्शनी कैटलाॅग, कविता के विश्व रंग, हिन्दी कहानीकारों के अंग्रेज़ी अनुवाद गोल्डन ट्रेज़री, रवीन्द्र कैटलाॅग, ‘विश्व रंग’ कैटलाॅग, साहित्य और सिनेमा पर मोनोग्राफ, बेस्ट आॅफ रंग संवाद सहित जलियांवाला बाग प्रदर्शनी, पुस्तक प्रदर्शनी और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़े मुखौटों की प्रदर्शनी का लोकार्पण समारोह को अनूठा आयाम प्रदान करेंगे।

गीत-संगीत और नृत्य की चहक-महक
टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक और ‘विश्व रंग’ के सांस्कृतिक समन्वयक विनय उपाध्याय के अनुसार संवाद और विमर्श के रोचक सिलसिलों के बीच संगीत की स्वर लहरियाँ और नृत्य तथा अभिनय की सुंदर छवियाँ ‘विश्व रंग’ में नई महक घोलेंगी। प्रख्यात रंगकर्मी उषा गांगुली द्वारा निर्देशित टैगोर बहुचर्चित नाटक ‘चाण्डालिका’ का मंचन, पीलू भट्टाचार्य द्वारा संयोजित टैगोर केन्द्रित नृत्य-संगीत प्रस्तुति ‘रिफ्लेक्शन’, श्वेता देवेन्द्र और क्षमा मालवीय के निर्देशन में टैगोर की ही कविताओं पर आधारित ‘गीतांजलि’ बैले का मंचन, गुंदेचा बंधुओं का ध्रुपद गायन, भिमन्ना जादव का सुंद्री वादन, दयाराम सारोलिया का कबीर गायन, याकूब खान का शहनाई वादन, नगीन तनवीर और राजीव सिंह का रंग संगीत, हारमनी ग्रुप द्वारा हिन्दी कविताओं और रैनी वृन्द द्वारा रवीन्द्र संगीत की प्रस्तुति, सत्येन्द्र सोलंकी का संतूर वादन, अमित मलिक का वायलिन वादन, आमिर खान का सरोद वादन, शुभव्रत सेन की दो तारा पर रवीन्द्र संगीत की प्रस्तुति, गोंड आदिवासी कलाकारों द्वारा गुदुम बाज़ा, करमा सैला नृत्य, निमाड़ का गणगौर नृत्य, मालवा का पारंपरिक मटकी नृत्य और राजस्थान के ही पारंपरिक लोक नृत्यों की प्रस्तुतियाँ ‘विश्व रंग’ की सुबह-शामों को गुलज़ार करेंगी। नौजवान पीढ़ी के लिए मशहूर सूफी बैंड ‘सुखन’ और रघु दीक्षित प्रोजेक्ट
द्वारा ‘एथेनिक म्यूजिक’ की पेशकश भी फिज़ाओं में नया रंग घोलेंगी।

 

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