अनोखी मांग: संघ प्रमुख को लिखा पत्र, 5% सीटों पर संतों को मौका दे

प्रदेश, मध्य प्रदेश, मुख्य समाचार

Updated Fri, 22 Sep 2023

वर्तमान समय में पूरे देश की राजनीति का केंद्र सिर्फ और सिर्फ सनातन धर्म बन चुका है। भारतीय जनता पार्टी जहां एक ओर भारत में रामराज्य की परिकल्पना को सनातन धर्म के माध्यम से पूर्ण करने की बात कहती है, तो वहीं दूसरी और भाजपा के विपक्ष में खड़ी पार्टियां सनातन धर्म एवं संस्कृति को पूर्ण रूप से नष्ट करने पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। ऐसे में उज्जैन के क्रांतिकारी संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सरसंघचालक मोहन भागवत को एक पत्र लिखकर यह अनोखी मांग कर डाली है कि देश में सनातन धर्म की परिकल्पना तभी पूर्ण हो सकती है, जब देश में राष्ट्रवाद, धर्म विरोधी ताकतों को पराजित किया जा सके और यह तभी संभव है, जब भाजपा सनातन धर्म को बढ़ावा देने के साथ ही आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद व भाजपा का समर्थन देने वाले योग्य, अनुभवी व सक्रिय सन्तों को कम से कम पांच प्रतिशत धार्मिक सीटों से चुनाव मैदान में उतारे। इससे न केवल आपकी जीत सुनिश्चित होगी, बल्कि भाजपा की धार्मिक छवि मजबूत होने के साथ ही राजनीति राजधर्म बन जाएगी। इस पत्र में एक कुशल शासक के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी उदाहरण दिया गया है, जिन्होंने पूरे विश्व पटल पर अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सरसंघचालक मोहन भागवत को भेजे गए इस पत्र की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश के गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी भेजी गई है। पत्र के बारे मे क्रांतिकारी संत डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने बताया कि देश की राजनीति को अब राजधर्म बनाने की आवश्यकता है। भाजपा एक धार्मिक पार्टी है और संतों ने हमेशा भाजपा को न सिर्फ समर्थन दिया है बल्कि पार्टी के लिए प्रचार भी किया है। ऐसी स्थिति में अगर भाजपा अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहती है तो धार्मिक संतों को पार्टी की मूलधारा से जोड़ना चाहिए। आपने बताया कि ऐसे संतों को प्रत्येक प्रदेश में चुनाव का टिकट देकर पार्टी की मूल भावना से जोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि इससे जो संत राजनीति में रुचि रखते होंगे वह अपनी पूरी क्षमता से प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।

देश में उठ रही हिंदू राष्ट्र की मांग
पत्र में बताया गया है कि देश में किसी भी पद पर ना होकर भी विद्वान संत, महापुरुष हमेशा ही हिंदू राष्ट्र की मांग करते रहे हैं, लेकिन जब इन लोगों को पार्टी की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा, तो ऐसे लोग हिंदू राष्ट्र की संकल्पना को पूरा करने में और भी मददगार साबित होंगे। पत्र में वाल्मीकि रामायण, महाभारत और अन्य कई ग्रंथों के उदाहरण भी पेश किए गए हैं, जिससे इस बार धार्मिक सीटों से साधु संतों को मौका देकर न सिर्फ पार्टी अपनी जीत सुनिश्चित कर लें बल्कि देश की राजनीति को राजधर्म में तब्दील कर ले, जिससे कि सनातन धर्म के विरोध में सोचने वाली विपक्षी पार्टियां किसी भी तरीके से अपनी योजनाओं में सफल ना हो सकें।

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