मध्‍य प्रदेश में पुराना है रेत माफियाओं के तांडव का इतिहास, इन पर कौन कसेगा नकेल?

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रैना. मध्य प्रदेश में एक बार फिर रेत माफियाओं का कहर देखने को मिला हैं. बीते रविवार को शहडोल जिले में रेत माफियाओं के द्वारा एक पटवारी को ट्रैक्टर-ट्रॉली से रौंद दिया था, जिससे पटवारी की मौंके पर ही दर्दनाक मौत हो गई थी. वहीं सोमवार को जिले के कैलारस थाना क्षेत्र में पत्थर से भरे ट्रैक्टर ने एक बाइक को टक्कर मार दी. इस दौरान बाइक चालक शिवम कुशवाह की घटना स्थल पर ही मौत हो गई. वहीं एक युवती सहित दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. अगर बात चंबल संभाग की करें तो पिछले कुछ साल पहले मुरैना में रेत माफियाओं के वाहनों पर कार्रवाई करने पहुंचे एक आईपीएस को भी रेत माफियाओं ने रौंदकर मार ड़ाला था. इस घटना के बाद एक के बाद एक करके कई घटनाएं जिले भर में रेत माफियाओं ने घटित की, लेकिन प्रशासन और पुलिस के ढीले रवैए की वजह से अभी तक रेत का अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है.

मुरैना जिले की अगर बात करें तो रेत माफियाओं के द्वारा आईपीएस नरेंद्र को ट्रैक्टर ट्रॉली से कुचलकर मार ड़ाला था. उस घटना के बाद जिले के लोगों को लगा था कि शायद अब रेत का अवैध कारोबार बंद हो जाएगा, लेकिन रेत का अवैध कारोबार बंद होना तो दूर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. स्थिति यह है कि सुबह से लेकर शाम और रात भर रेत माफिया के वाहन चंबल नदी के करीब दर्जनभर से ज्यादा घाटों से रेत का अवैध उत्तखनन करके खुलेआम ट्रैक्टर ट्रॉलियों से रेत का परिवहन कर रहे हैं, जिसकी वजह से आए दिन हादसे और अधिकारी-कर्मचारियों के साथ घटनाएं घटित हो रही हैं. रेत के इस अवैध कारोबार के पीछे किस नेता या अफसर का हाथ है यह तो क्लियर नहीं है, लेकिन जिस तरह से बेखौफ होकर रेत माफिया रेत का अवैध कारोबार कर रहे हैं. उसे देखकर एक बात तो तय है कि रेत माफियाओं को प्रशासन और पुलिस की सह तो है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता.

मुरैना में सालों से दिख रहा रेत माफियाओं का कहर
आपको बता दे कि, जिले के बानमोर इलाके में 2009 बैच की आईपीएस नरेंद्र कुमार सिंह को 8 मार्च 2012 को रेत माफिया ने ट्रैक्टर से रौंदकर हत्या कर दी थी. 21 जून  2018 में रेत माफियाओं के ट्रैक्टर ने एक जीप को टक्कर मारी थी जिसमें 12 लोगों की जान गई थी. 17 मार्च 2021 को सिविल लाइन थाना क्षेत्र के मेवदा गांव में रेत माफियाओं पर कार्यक्रम बाय करने गई पुलिस की टीम पर लाठी डंडों से हमला कर दिया. इस दौरान दालचीनी थाना प्रभारी घायल हुए थे. पुलिस की गाड़ियां भी टूटी थी. हालात ऐसे बने की पुलिस को उल्टे पांव रेत माफियाओं से जान बचाकर भागना पड़ा था. इन घटनाओं के अलावा भी पुलिस और वन विभाग की टीम पर कई बार रेत माफियाओं ने हमला किया है, लेकिन उसके बाद भी इन माफियाओं के खिलाफ कोई शासन और प्रशासन ठोस कार्यवाही नहीं करता, जिससे अवैध रेत के परिवहन पर अंकुश लगाया जा सके.
पुलिस ने दिया कार्रवाई का हवाला
वहीं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉक्टर अरविंद ठाकुर का कहना है कि ये बड़ी ही दुखद घटना हुई है. कैलारस थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक खंडे से भरे ट्रैक्टर ने तीन मजदूरों पर चढ़ा दिया है, जिसमें एक मजदूर की घटना स्थल पर ही मौत हो गई. ट्रैक्टर को पकड़कर थाने ले जाया गया है. वहीं हादसे का शिकार हुए मजदूर मध्य प्रदेश के नहीं है. उनके परिजनों को भी सूचना दी गई है और वह जैसे ही थाने आकर रिपोर्ट करेंगे तो उसमें अपराध पंजीकृत किया जाएगा. पुलिस अधीक्षक ने निर्देश दिए हैं कि अगर इस तरह की अवैध उत्खनन या परिवहन की कोई भी सूचना आती है, तो तत्काल कार्रवाई करें. हालांकि मूल रूप से इसके लिए माइनिंग विभाग है, लेकिन रोड़ पर परिवहन कर रहे हैं, तो पुलिस इन पर निश्चित तौर पर कार्यवाही करेगी.

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