Sawan 2023: यहां जमीन से निकला था ‘गौरी मुखी’ बाबा का शिवलिंग, मंदिर में विराजमान है पूरा शिव परिवार

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Updated on: Jul 04, 2023

Kannauj News: कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर राजा जयचंद के किले के पास करीब 16 साल पुराना अति प्राचीन बाबा गौरी शंकर मंदिर है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यह पूरे विश्व में इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसमें शिवलिंग में साक्षात पूरा शिव परिवार दिखाई देता है. पूरे देश के साथ-साथ विदेश से भी श्रद्धालु इस शिव मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. सावन महीने में बाबा गौरी शंकर मंदिर में दर्शन करने पर भगवान शिव के साथ-साथ उनके पूरे परिवार की कृपा भी भक्तों को प्राप्त होती है.

छठवीं शताब्दी में राजा हर्षवर्धन इस मंदिर में पूजा-पाठ किया करते थे. मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में शिवलिंग स्वयंभू है. इस मंदिर का संबंध आदिकाल से भी जोड़ा जा सकता है. राजा हर्षवर्धन ने इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा के लिए 1000 पुजारियों की नियुक्ति भी की थी. मान्यता यह भी है कि यहां पर सावन मास में एक बार मां गंगा यहां पर मंदिर के अंदर तक बाबा गौरी शंकर का जलाभिषेक करने जरूर आती थीं.

राजा हर्षवर्धन के बाद कन्नौज के राजा बने राजा जयचंद भी यहां पर पूजा आराधना किया करते थे. सावन मास में इस मंदिर की महत्व और बढ़ जाता है. मां गंगा और काली नदी के अद्भुत मिलाप के पास बना यह मंदिर और भी ज्यादा कल्याणकारी हो जाता है. श्रद्धालु दूरदराज क्षेत्रों से यहां दर्शन करने आते हैं. श्रद्धालु पहले गंगा में स्नान करते हैं और फिर वहीं से मां गंगा का जल भरकर श्रद्धालु बाबा गौरी शंकर का जलाभिषेक भी करते हैं.

10 जिलों के श्रद्धालु कांवड़ लेकर गौरी शंकर का करते हैं जलाभिषेक

जनपद के आसपास के करीब 10 जिलों से श्रद्धालु कांवड़ भर के सावन मास में यहां पर बाबा गौरी शंकर का जलाभिषेक करते हैं. गौरी शंकर मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग में श्रद्धालु साक्षात पूरे शिव परिवार के दर्शन कर सकते हैं. शिवलिंग के बाई और भगवान गणेश शिवलिंग के दाहिनी ओर माता सती का कुंडल और मुख साफ तौर से देखा जाता है. वहीं मध्य में भगवान शिव विराजमान हैं. पुराणों में कन्नौज के इस शिवलिंग का भी जिक्र किया गया है.

कन्नौज में गिरा था माता सती का कुंडल

पुराणों में यह मान्यता है कि कन्नौज में माता सती का कुंडल गिरा था, जिस कारण कन्नौज का नाम का कान्यकुब्ज पड़ा था. मंदिर के महंत मथुरा प्रसाद त्रिवेदी बताते हैं कि यह मंदिर हजारों साल पुराना है. इस मंदिर में राजा हर्षवर्धन और राजा जयचंद पूजा किया करते थे. यहां स्वयंभू शिवलिंग है. इसमें साक्षात पूरा शिव परिवार विराजमान है. पूरे देश से लेकर विदेशों तक से श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. जो श्रद्धालु यहां पर सच्चे भाव से पूजा-अर्चना करता है, भगवान शिव के साथ-साथ पूरे शिव परिवार की कृपा उसको प्राप्त होती है.

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