प्रहलाद लोधी की सदस्यता निरस्त होने के मामले को लेकर बीजेपी आलाकमान नाराज, राज्यपाल से मिला
Updated: 6 नवम्बर, 2019,
भोपाल: अदालत से 2 साल की सज़ा, और विधानसभा से सदस्यता गंवाने के बाद पवई से बीजेपी विधायक प्रहलाद लोधी ने हाईकोर्ट में अपील की है. उधर मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने केन्द्रीय चुनाव आयोग को लोधी की सदस्यता निरस्त करने की सूचना भेज दी है. प्रहलाद लोधी समेत 12 लोगों पर आरोप था कि उन्होंने रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई करने वाले रैपुरा तहसीलदार को बीच सड़क पर रोककर मारपीट की थी. इस मामले में राज्य बीजेपी को दो दिन की देरी भारी पड़ी, सूत्रों के मुताबिक आलाकमान इस बात से नाराज़ भी है, जिसके बाद राज्य के आला नेताओं ने आज राज्यपाल से मुलाकात की.
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा इस संबंध में सर्टिफिाई कॉपी मेरे सामने रखी गई, जिसको बाद मेरे द्वारा आदेश जारी हो गई ततसंबंधी जानकारी राजपत्र में छपने के लिये एवं चुनाव आयोग को सूचित कर दिया गया है कि विधानसभा में एक पद रिक्त हो गया है. वहीं इस मामले में बीजेपी नेता प्रहलाद लोधी ने कहा ऐसा आजतक नहीं हुआ जब न्यायलय ने मुझे 12 दिसंबर तक समय दिया है इनको भी देना चाहिये था, तत्काल 24 घंटे में उन्होंने ऐसा कर दिया. उन्होंने ये सोचा बीजेपी के विधायक कम हो जाएं हमारे बढ़ेंगे. वैसे गणित के हिसाब से नेताजी ने सही फरमाया, क्योंकि मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सदस्य हैं. प्रहलाद लोधी की विधायकी ख़त्म होने से सदस्य संख्या 229 हो गई यानी फिलहाल अपने 115 विधायकों के साथ कांग्रेस को पूर्ण बहुमत है, उसे 4 निर्दलीय, 2 बसपा , 1 सपा के विधायक का भी समर्थन है. बीजेपी के अब सदन में 107 विधायक बचे.
इस मामले में कोर्ट जाने के अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा सहित बीजेपी के आला नेताओं ने राज्यपाल का दरवाजा खटखटाया है. राज्यपाल से मुलाकात के बाद सीताशरण शर्मा ने कहा गर्वनर साहब को कानूनी स्थिति हमने बताई है, ये बताया कि स्पीकर साहब का ऑर्डर गैर संवैधानिक है मैं दृढ़तापूर्वक ये बात कह रहा हूं 192 में ये प्रोविजन लिखा है कौन डिस्क्वलीफाई करता है … या तो सदन करता है या गवर्नर. ये बिल्कुल साफ है. राज्यपाल ने कहा है वो इसे देखेंगे. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा विधानसभा के अध्यक्ष संरक्षक होते हैं विधायकों के, ये संरक्षक का फैसला नहीं है ये पार्टी विशेष को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिये राजनीतिक विद्वेषवश जल्दी में फैसला किया गया है जिसे उचित नहीं कहा जा सकता.