ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में वर्ष के अंत में उमड़े श्रद्धालु, भस्मारती अनुमति के लिए कतार
Publish Date:Thu, 27 Dec 2018
उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में साल के अंत में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। देश-विदेश से आने वाले भक्तों की इच्छा भस्मारती दर्शन करने की होती है। आलम यह है कि जब तड़के चार बजे पुजारी आरती शुरू करते हैं तो दूसरी ओर अगले दिन की भस्मारती अनुमति के लिए काउंटर पर कतार लग जाती है। भक्त घंटों खड़े रहकर अनुमति फॉर्म मिलने का इंतजार करते हैं।
12 ज्योतिर्लिंग में से एकमात्र दक्षिणमुखी महाकाल की ही भस्मारती की जाती है। मंदिर के पट खोलने के बाद परंपरा अनुसार पुजारी भस्म रमैया को भस्म रमाते हैं। आरती का नजारा अद्भुत होता है। इसे देखने के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं। चूंकि यह साल 2018 का अंतिम सप्ताह है, इसलिए मंदिर आने वाले भक्तों की संख्या में खासा इजाफा हो गया है।
मंदिर समिति का काउंटर यूं तो सुबह 10 बजे खुलता है, मगर कई श्रद्धालु सुबह चार बजे से ही लाइन में लग जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रतिदिन सामान्य दर्शनार्थियों को काउंटर से 950 अनुमति दी जाती है। भक्तों की संख्या इससे कहीं ज्यादा होती है। इस कारण लोग पहले से कतार में लग जाते हैं।
काउंटर से अनुमति का फॉर्म दिया जाता है। इसे भरकर पहचान पत्र की छायाप्रति के साथ उसी काउंटर पर जमा कराना होता है। एक फॉर्म पर अधिकतम पांच लोग अनुमति ले सकते हैं। आवेदन जमा करने पर अगर आपकी जगह पक्की हो गई है तो मोबाइल पर अनुमति का एसएमएस आ जाता है। इसे दिखाकर अगले दिन भस्मारती से पूर्व मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।
कहां कितने लोगों के बैठने की क्षमता
नंदी हॉल 100
गणेश मंडपम् 1200
कार्तिकेय मंडपम् 500
ऑनलाइन अनुमति का शुल्क 100 रुपए, काउंटर से निशुल्क
अगर आप भस्मारती के लिए ऑनलाइन अनुमति कराते हैं तो इसके लिए 100 रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क चुकाना होता है, जबकि मंदिर के काउंटर से अनुमति लेने पर यह निशुल्क मिलती है। इसके लिए किसी को भी रुपए देने की आवश्यकता नहीं है। गौरतलब है कि पूर्व में रुपए लेकर भस्मारती अनुमति कराने के रैकेट सामने आ चुके हैं। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने अनुमति व्यवस्था को पारदर्शी बनाया है।
राजा की भस्मारती का ऐसा है स्वरूप… फैल जाती है दिव्यता
सुबह चार बजे मंदिर के पट खुलते हैं। इसके बाद पुजारी भगवान का पंचामृत अभिषेक करते हैं। इसके बाद भक्त भगवान को जल चढ़ाते हैं। भगवान का मोहक श्रृंगार किया जाता है। पश्चात शिवलिंग को कपड़े से ढंककर महानिर्वाणी अखाड़े के साधु भस्मी अर्पित करते हैं। इसके बाद भोग लगाकर आरती की जाती है। सुबह के शांत वातवरण में शंख की मंगल ध्वनि के बीच जैसे ही पुजारी सस्वर आरती प्रारंभ करते हैं, पूरे परिसर में दिव्यता फैल जाती है। भक्त अभिभूत नजर आते हैं। एक बार जो भक्त भस्मारती में शामिल हो जाता है, वह बार-बार आना चाहता है।
31 और 1 तारीख की आरती के लिए ऑनलाइन बुकिंग नहीं
मंदिर प्रबंध समिति ने 31 दिसंबर और 1 जनवरी को होने वाली भस्मारती के लिए ऑनलाइन अनुमति सुविधा ब्लॉक कर दी है। प्रभारी अधिकारी मूलचंद जूनवाल ने बताया कि व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है। अधिक से अधिक श्रद्धालु भस्मारती के दर्शन कर सकें, इसके लिए भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। 2 जनवरी की आरती के लिए ऑनलाइन सुविध्ाा फिर शुरू हो जाएगी।