WHO ने दी चेतावनी-शायद कभी खत्म नहीं होगा कोरोना

अंतर्राष्‍ट्रीय, मुख्य समाचार, स्वास्थ्य

14 मई 2020,

जिनेवा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल जे रियान आशंका जताई है कि शायद कोरोना वायरस दुनिया से कभी खत्‍म ही हो। कोरोना वायरस दुनिया के लगभग हर देश को अपनी चपेट में ले चुका है। इस जानलेवा वायरस की अभी तक कोई दवा या वैक्‍सीन ईजाद नहीं हुई है। ऐसे समय में डब्‍ल्‍यूएचओ का यह कहना कि कोरोना वायरस कभी खत्‍म नहीं होगा, भयभीत करने वाला है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक शीर्ष अधिकारी ने चेतावनी दी कि संभव है कि कोरोना वायरस हमारे साथ ही रहे. एक प्रेस ब्रीफिंग में डॉक्टर माइकल रेयान ने कहा, ‘हो सकता है कि यह वायरस कभी दूर ना जाए’. उन्होंने कहा कि वैक्सीन के बिना पर्याप्त मात्रा में इम्यूनिटी बढ़ाने में लोगों को कई साल लग सकते हैं.

कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इस समय दुनिया के आधे देश लॉकडाउन में हैं। करोड़ों लोग अपने घरों में कैद रहने के लिए मजबूर है। लोग ये उम्‍मीद कर रहे हैं कि जल्‍द से जल्‍द कोरोना वायरस को खत्‍म करने के लिए वैक्‍सीन तैयार हो जाएगी। वे फिर से एक साधारण जिंदगी में लौट सकेंगे। दुनियाभर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की वैक्‍सीन तलाशने के लिए रात-दिन जुटे हुए हैं। इस बीच डब्‍ल्‍यूएचओ ने संभावना जताई है कि कोरोना वायरस शायद कभी खत्म न हो, जैसे एचआईवी खत्म नहीं हुआ।

WHO के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि वह एचआईवी और कोरोना वायरस की तुलना नहीं कर रहे हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि हमें व्यावहारिक होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि कोई भी ये बता सकता है कि ये बीमारी कब खत्म होगी। कोरना वायरस को रोकने के लिए लगे प्रतिबंध को हटाना अभी ठीक नहीं है, क्योंकि मामले अब भी अधिक आ रहे हैं. अगर प्रतिबंध हटा तो वायरस बड़े पैमाने पर फैलेगा, इसलिए आगे भी लॉकडाउन बढ़ाने की संभावना है।

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने पूर्वानुमान लगाया है कि कोरोना वायरस महामारी विश्व अर्थव्यवस्था को इस वर्ष 3.2 फीसदी तक घटा सकती है, जो 1930 के दशक की मंदी के बाद सबसे खराब आर्थिक गिरावट होगी. संयुक्त राष्ट्र की मध्यवर्षीय रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई, जिसमें कहा गया है कि COVID-19 की वजह से वैश्विक आर्थिक उत्पादन में लगभग 8.5 ट्रिलियन डॉलर की कमी आने की उम्मीद है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ये गिरावट पिछले 2 साल की सभी आर्थिक फायदों पर भारी पड़ने वाली है. संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक स्थिति और संभावना रिपोर्ट में कहा गया है कि यह महामारी गरीबी और असमानता को भी बढ़ावा देगी. इसके अलावा 2020 में करीब 3 करोड़ 40 लाख लोगों के गरीबी रेखा से नीचे जाने की संभावना है. इनमें से 56 फीसदी लोग सिर्फ अफ्रीका के हो सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक करीब 13 करोड़ लोग अत्यधिक गरीब श्रेणी में शामिल हो सकते हैं, जो गरीबी और भूख को मिटाने के वैश्विक प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है.

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