‘द गाजी अटैक’ समीक्षा: एक बेहतरीन फिल्म
आलोचक रेटिंग : 4.5/5
निदेशक : संकल्प रेड्डी
कलाकार: के.के. मेनन, राणा दग्गुबाती, ओम पुरी, तापसी पन्नू, अतुल कुलकर्णी
फिल्म की टैगलाइन है- वह युद्ध जिसके बारे में आप नहीं जानते। कहानी साल 1971 की है जब पाकिस्तान दो हिस्सों (पूर्वी और पश्चिमी) में बंटा था। पूरब में पश्चिम से अलग होने का संघर्ष था। बंद फाइलों में यह दर्ज बताया जाता है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों ने पूर्वी हिस्से पर भारत का प्रभाव घटाने और अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए अपनी उत्कृष्ट सैन्य पनडुब्बी ‘गाजी’ से विशाखापट्टनम पर हमले की योजना बनाई थी। वह भारत को युद्ध में उलझा कर पूर्वी हिस्से (जो बाद में बांग्लादेश बना) का जनविद्रोह क्रूरता से दबाना चाहता था। भारत के जांबाज जल-सैनिकों ने पाकिस्तानी की चाल भांप ली और हमलावर गाजी को समंदर में ही नेस्तानाबूत करके डुबो दिया।
अगर हम बीते वक्त में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई वॉर की बात करें तो हमें चार जंग याद आएगी। इन चार जंगों के अलावा इन दोनों देशों के बीच एक और जंग भी हुई, लेकिन इस जंग के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। 1971 में भारत पाक के बीच हुई जंग से पहले गहरे समुद्र में ढाई सौ से तीन सौ मीटर पानी के नीचे एक ऐसी जंग लड़ी गई, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है। जहां यूरोपीय देशों में अक्सर वॉर सब्जेक्ट पर फिल्में बनती रहती हैं, वहीं हमारे यहां बरसों में कभी-कभार ही कोई वॉर फिल्म बनती है और अगर बन भी जाए तो अक्सर बॉक्स ऑफिस पर ऐसी फिल्में अपनी लागत तक नहीं बटोर पाती। जे.पी. दत्ता ने वॉर पर बॉर्डर सहित कई बेहतरीन फिल्में बनाई, लेकिन करगिल में लड़ी जंग पर बनी मेगा बजट मल्टिस्टारर फिल्म ‘एलओसी कारगिल’ बॉक्स ऑफिस पर कमाई करना तो दूर जब अपनी लागत तक भी नहीं बटोर पाई तो वॉर फिल्में बनाने से मेकर्स कतराने लगे। करन जौहर की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने एक ऐसी वॉर को लेकर पूरी ईमानदारी के साथ फिल्म बनाने का जोखिम उठाया जिस जंग के बारे में हर कोई नहीं जानता। बांग्ला देश बनने से पहले भारत पाक के बीच 1971 में हुई जंग के बारे में हम जानते हैं, लेकिन इस जंग से पहले समुद्र के नीचे गहरे पानी के बीच एक ऐसी जंग भी हुई जिस जीत ने 71 की जंग को हमारी सेना के लिए आसान बना दिया। पानी के अंदर लड़ी गई इसी जंग पर बनी यह फिल्म एक ऐसी बेहतरीन फिल्म है जिसे देखते वक्त आप भारतीय होने पर गर्व महसूस कर सकेंगे।
डायरेक्टर संकल्प और प्रडयूसर की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर कमाई करने वाले स्टार्स का मोह छोड़कर इस फिल्म के लिए उन्हीं कलाकारों का चयन किया जो किरदारों की डिमांड पर सौ फीसदी फिट हो। कैप्टन रणविजय सिंह के किरदार में के.के. मेनन, देवराज के रोल में अतुल कुलकर्णी के साथ-साथ लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन के किरदार में राणा दग्गुबाती सभी ने अपने जीवंत अभिनय से अपने किरदार में जान डाली है। ओम पुरी अपने किरदार में सौ फीसदी फिट रहे। काश पुरी साहब, अपनी इस फिल्म बेहतरीन फिल्म को देख पाते। रिफ्यूजी डॉक्टर बनी अनन्या (तापसी पन्नू) का किरदार बेशक छोटा है, लेकिन तापसी अपनी पहचान छोड़ने में कामयाब रहीं।
भारतीय नौसेना अपने गौरवशाली इतिहास के साथ भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षक है। ५५,००० नौसेनिको से लैस यह विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी नौसेना है। भारतीय सीमा की सुरक्षा को प्रमुखता से निभाते हुए विश्व के अन्य प्रमुख मित्र राष्ट्रों के साथ सैन्य अभ्यास में भी सम्मिलित होती है। पिछले कुछ वर्षों से लागातार आधुनिकीकरण के अपने प्रयास से यह विश्व की एक प्रमुख शक्ति बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा को सफल बनाने की दिशा में है।
बॉक्स ऑफिस पर एक के बाद एक आ रही चालू मसाला फिल्मों को देखकर आप यह सोचने लगे हैं कि अब अच्छी और नए सब्जेक्ट पर फिल्में बननी बंद हो चुकी है तो ‘द गाजी अटैक’ एकबार जरूर देखें। देश में युद्ध पर अब तक जितनी भी फिल्में बनी हैं, ‘द गाजी अटैक’ उनमें अमिट छाप छोड़ती है। एक ऐसी जंग जिसके बारे में शायद आप नहीं जानते उस जंग को देखने का ये अच्छा मौका है। मै इस फ़िल्म को नमन करते हुए 5 में से 4.5 स्टार देता हूँ।।
अजय सिसोदिया