भारतीय Chess के नए पोस्टर ब्वॉय की कहानी

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Last Updated: Dec 29, 2022,

नई दिल्ली: भारत के शतरंज ग्रैंडमास्टर गुकेश डी (Dommaraju Gukesh) विश्व इतिहास में ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के युवा हैं. गुकेश ने 7 साल की उम्र में ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था. साल 2019 में वह सबसे कम उम्र के भारतीय ग्रैंडमास्टर बने थे. वह भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर तो बने, लेकिन वह विश्व के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने से मात्र 17 दिन चूक गए थे. उन्होंने इस साल शतरंज ओलंपियाड में गोल्ड जीता था. अभी उनकी उम्र महज 16 साल है.

गुकेश की मां एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं और उनके पिता एक सर्जन हैं. ऐसे में उनका शेड्यूल काफी व्यस्त था. वह एकलौते बेटे गुकेश को काफी कम समय दे पाते थे. उनके पिता रजनीकांत ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, “आमतौर पर जब मैं उसे स्कूल लेने जाता था तब समस्या यह थी कि उसके स्कूल खत्म होने के 15-20 मिनट बाद ही पहुंच पाता था. उसकी मां ने यह सलाह दी थी कि उसे किसी अन्य खेल के बजाय शतरंज में डाल देना चाहिए.”

गुकेश की मां ने कहा, “जब उसके स्कूल और पढ़ाई की बात आती थी तो हमें उसे कभी भी कहना नहीं पड़ता था. वो खुद ही अपना सारा होमवर्क पूरा करता था. जो कि हमारे लिए बहुत अच्छा था. हमें उसकी शरारती व्यवहार से कोई समस्या नहीं थी. क्योंकि जब वह अपने स्कूल का काम करता था, तब बहुत अनुशासित होता था. जब उसने शतरंज खेलना शुरू किया था, तब उसके शिक्षक उसकी काफी प्रशंसा करते थे. वो ये कहते थे कि गुकेश बहुत अच्छा खेल रहा है. वह सिखाए बिना ही बहुत आक्रामक शतरंज खेलने लगा था.”

धीरे-धीरे गुकेश ने सभी का ध्यान खींचा, जब उन्होंने साल 2015 में एशियन स्कूल शतरंज चैंपियनशिप का अंडर 9 वर्ग जीता था. फिर उन्होंने साल 2018 में विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप जीती थी. 2018 एशियाई युवा शतरंज चैंपियनशिप में गुकेश ने पांच गोल्ड मेडल जीते थे. वह मार्च 2018 में फ्रांस के 34वें ओपन डे कैपले ला ग्रांडे शतरंज टूर्नामेंट में एक इंटरनेशनल मास्टर बन गए थे.

साल 2019 में रूस के सर्गेई कर्जेकिन को पीछे छोड़ वह दुनिया के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने की कगार पर थे, लेकिन सर्गेई से 17 दिन बड़े होने के कारण वह यह रिकॉर्ड नहीं तोड़ सके. वह 12 साल 7 महीने 17 दिन की उम्र में भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बने थे. जबकि सर्गेई ने 12 साल 7 महीने की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी.

 

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