भारत का वो इस्लामिक गुरु जिसे दुनिया का प्रभावशाली मुस्लिम चुना गया

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Updated on: Dec 24, 2022

दुनिया की प्रभावशाली मुस्लिम हस्तियों में भारत से जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी को शामिल किया गया है. यह लिस्ट को जॉर्डन के NGO द रॉयल ऑल अल बायत इंस्टीट्यूट फॉर इस्लामिक थॉट (RABIIT) ने जारी की है. यह एक इस्लामिक एनजीओ है. एनजीओ की तरफ से 500 प्रभावशाली मुस्लिमों की लिस्ट जारी की गई है. जिसमें पहले पायदान पर सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुल-अजीज अल-सऊद हैं. वहीं, दूसरे नंबर पर सऊदी के धुर विरोधी देश ईरान के सर्वोच्च धार्मिक गुरू अयातुल्लाह अली खामेनेई हैं.

मौलाना महमूद मदनी का जन्म 3 मार्च 1964 को उत्तर प्रदेश के देवबंद में इस्लामिक विद्वान और राजनीतिज्ञ असद मदनी के घर हुआ. दादा हुसैन अहमद स्वतंत्रता सेनानी और दारूल उलूम के प्रमुख रहे.

इस्लामिक मदरसे से पढ़ाई और गुजरात से मिली पहचान

मौलाना महमूद मदनी की शुरुआती पढ़ाई दारुल उलूम देवबंद इस्लामिक मदरसे से हुई. 1992 में ग्रेजुएशन करने के बाद कारोबार के क्षेत्र में आगे बढ़े, लेकिन कुछ समय बाद ही सामाजिक कार्य और राजनीति की राह पर चलने लगे. लम्बे समय से सामाजिक कार्यों से जुड़े मौलाना महमूद मदनी को बड़ी पहचान मिली 2001 में गुजरात में आए भूकंप के बाद किए गए राहत कार्यों से. यहां पर इन्होंने राहत और पुनर्वास कार्य किए जिससे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली.

2002 में जातीय-धार्मिक हिंसा के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने राहत कार्यों के लिए अभियान चलाया, इसका नेतृत्व मौलाना महमूद मदनी ने किया. इन राहत कार्यों के कारण इनका रुतबा बढ़ा और 2001 से 2008 तक जमीयत उलेमा-ए-हिंद का महासचिव चुना गया.

सपा से राजनीति कॅरियर की शुरुआत

मौलाना महमूद मदनी ने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत समाजवादी पार्टी से की. 2006 से 2012 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद रहे. मौलाना महमूद मदनी की सामाजिक और राजनीति सक्रियता को देखते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद की सहारनपुर जिला इकाई ने अध्यक्ष बनाया. कुछ समय बाद मौलाना महमूद मदनी को जमीयत उलमा-ए-हिंद के राज्य और फिर वाइस प्रेसिंडेट बने.

CAA-NRC और आतंक विरोधी

मौलाना मदनी ने देश में आतंकविरोधी अभियान चलाया. देवबंद उलेमा की ओर से आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी करने में उनका अहम योगदान रहा. दिल्ली रामलीला मैदान, हैदराबाद और मुंबई में जनसभा करके मुस्लिमों और उलेमा को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट करने का काम किया. मदनी ने देशभर में 40 से ज्यादा जगह आतंकवाद विरोधी समारोह आयोजित किए.

मौलाना मदनी ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) जैसे मुद्दों पर अपना विरोध जताया. CAA के खिलाफ देशव्यापी विरोध की शुरुआत की. देशभर में 1000 से अधिक जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए. एक टीवी कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘हम बाइचांस नहीं बाइचॉइस भारतीय हैं. हमने भारत को चुना है. जिन्ना इंडिया के मुसलमानों का जनाजा पढ़कर गए थे.’

ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर भी उन्होंने अपनी बात रखी. कहा, ऐसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचने की कोशिश की जाए. ज्ञानवापी मामला मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सार्वजनिक भड़काऊ बहस और सोशल मीडिया पर बयानबाजी करना देश और मुसलमानों के हित में नहीं है.

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