सागर के इस मंदिर में भगवान की नब्ज टटोलते हैं वैद्य
FIRST PUBLISHED : July 7, 2024,
सागर: बुंदेलखंड के सागर में यूं तो कई प्राचीन और ऐतिहासिक परंपराएं आज भी प्रचलित हैं. लेकिन, उड़ीसा के पुरी की तर्ज पर गढ़ाकोटा से निकलने वाली रथयात्रा की बात कुछ अलग है. यहां 167 सालों से परंपरा को निभाया जा रहा है. रथयात्रा निकालने से ठीक 15 दिन पहले जगन्नाथ स्वामी, भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा बीमार पड़ जाते हैं और वह आसान छोड़कर पलंग पर आ जाते हैं.
15 दिन तक उनकी सेवा की जाती है. औषधीय काढ़ा दिया जाता है. परहेज का भोग लगाया जाता है. ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा पर बीमार होने के बाद जब भगवान 10 दिन तक स्वस्थ नहीं होते तो वैद्य को बुलाया जाता है. फिर उनके हिसाब से औषधि में बदलाव किया जाता है और धीरे-धीरे भगवान ठीक होने लगते हैं. इसके बाद रथयात्रा के दिन भगवान प्रजा का हाल जानने और नगर भ्रमण के लिए रथ पर सवार होकर निलकते हैं.
वैद्य ने टटोली भगवान की नब्ज
सागर मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर गढ़ाकोटा नगर है, जहां प्रसिद्ध पटेरिया जी तीर्थ है. यहां ऐतिहासिक जगदीश मंदिर है, जिसमें जगन्नाथ स्वामी अपने भाई और बहन के साथ विराजमान हैं. यहां सनातन काल से चली आ रही परंपरा के अनुसार महंत के द्वारा वैद्य तक भगवान के बीमार होने की सूचना भेजी जाती है. महामंडलेश्वर हरिदास महाराज ने मंदिर के पुजारी को नगर के पुराने वैद्य पंडित अंबिका प्रसाद तिवारी के दवा खाना भेज कर बुलाया. उन्होंने भगवान जगन्नाथ स्वामी की नब्ज टटोली, जिससे उन्हें पता चला कि अधिक दिनों से बीमार होने पर उनके पेट का पित्त कमजोर हो गया है, इसलिए उन्हें औषधीय की जड़ों का पानी काढ़े के रूप में देना पड़ेगा. साथ में मूंग दाल का पानी भी दिया जा रहा. वहीं, वैद्य के शागिर्द ने जगन्नाथ स्वामी के भाई और बहन को देखा तो वह भी इसी बीमारी की चपेट में हैं. उनके लिए भी यह औषधि और यही परहेज किया जाएगा. लगातार पांच दिनों तक अब प्रभु का रुटीन चेकअप किया जाएगा. यह सब कुछ सांकेतिक रूप में किया जाता है.
देसी रुखड़ियो का काढ़ा
वैद्य अंबिका प्रसाद तिवारी ने बताया कि हमारे परिवार में तीन पीढ़ियों से यह काम चला आ रहा है. सौभाग्य से भगवान को देखने का अवसर भी हमारे परिवार को मिला है. अभी हम दो दिन से प्रभु को देखने आ रहे हैं. अब उनकी हालत में सुधार है. दो-तीन दिन में वह ठीक हो जाएंगे. 7 जुलाई को स्वस्थ होकर नगर भ्रमण को निकलेंगे. मंदिर के महंत हरिदास जी महाराज ने बताया कि 7 जुलाई को मालपुआ और छप्पन व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाए जाएंगे. शुद्ध घी से बने मालपुआ भक्तों में वितरित किया जाएंगे.